जिम्मेदारियों के बोझ तले कुचलता मासूम बचपन
12 जून अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस विशेष
बाल श्रम एक कानूनी अपराध और समाज में लगा अभिशाप है जो बच्चों को उनके स्कूल जाने के अधिकार से वंचित करता है और गरीबी को बढ़ाने में सहायक है। फिर भी अनेक बाल श्रम प्रतिबंधित कानून और जन जागरूकता के बावजूद बाल मजदूरी ख़त्म नहीं हो रही है।
संयुक्त राष्ट्र के सहायक वर्ग के रूप में कार्यरत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, बाल श्रम को परिभाषित करते हुए कहता है कि, "बाल श्रम अर्थात ऐसा काम जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और उनकी गरिमा से वंचित करता है, और जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है।" यह समस्या आगे चलकर अनेक गंभीर सामाजिक समस्याओं को बढ़ावा देती है। बाल श्रम के विरोध में जनजागृति हेतु हर साल 12 जून को “अंतराष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस” पूरी दुनिया में मनाया जाता है ताकि बच्चों को उनका हक़ मिले। इस साल 2023 के लिए यूएन द्वारा जाहिर थीम "सभी के लिए सामाजिक न्याय और बाल श्रम खत्म करो" यह है। बाल मजदूरी के खिलाफ हम सबको मिलकर लड़ना होगा तभी इस समस्या से निजात मिलेगी।
मनुष्य के सम्पूर्ण जीवनकाल में निस्वार्थ भाव और सुखमय समय बचपन का कहलाता है, तब बच्चे गीली मिट्टी की भांति होते है अर्थात निराकार। उन्हें योग्य वातावरण में अच्छी शिक्षा-संस्कार देकर समाज में एक जिम्मेदार नागरिक और कर्तृत्ववान मानव बनाया जाता है, ताकि बच्चे बड़े होकर खुद के, समाज के, देश के और समस्त मानव जाती के कल्याण और विकास में अपना योगदान दे सकें। बचपन में बच्चों द्वारा ली जाने वाली शिक्षा उन्हें जीवन विकास का बेहतर मार्ग प्रशस्त करता है। शिक्षा उन्हें परिपूर्ण बनाती है और जीवन में सतत प्रगति पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करती है, इससे व्यक्ति के विकास के साथ, समाज और देश का भी विकास होता है।
शिक्षा मनुष्य के जीवन का आधार है, यदि बच्चों के हाथ में किताबों की जगह जिम्मेदारी का बोझ दिया जाये तो वे अपने विकास से वंचित हो जायेंगे, उनकी मासूमियत कुचल दी जाएगी, उनका हक़ छीना जाएगा। जीवन अनमोल है, बाल मजदूरी बच्चे का आने वाला सुनहरा कल तबाह करती है। बच्चे स्कूलों में जाने के लिए होते है, कार्यस्थलों पर नहीं। बाल श्रम शिक्षा के लिए एक प्रमुख बाधा के रूप में कार्य करता है, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, स्वास्थ्य विकास भी रोकता है। मासूम बचपन बचाने के लिए हमें बड़ा जन अभियान चलाना होगा।
यूनिसेफ इंडिया और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन अनुसार, 2011 की जनगणना के आंकड़े दर्शाते है कि, भारत में बाल श्रमिकों की संख्या 10,100,000 है, जिनमें 56 लाख लड़के और 45 लाख लड़कियां हैं। भारत में 4.27 करोड़ से अधिक बच्चे स्कूल से बाहर हैं।
उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश मिलकर भारत में कुल कामकाजी बच्चों का लगभग 55% हैं। सेव द चिल्ड्रन, 2016 अनुसार, उत्तर प्रदेश में बाल श्रमिकों की संख्या सबसे अधिक है, भारत में 20% से अधिक बाल श्रमिक अकेले इस राज्य के हैं। कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन और 2011 की जनगणना के अनुमानों की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्तमान साल 2023 में 78 लाख बाल श्रमिक होंगे, जिसमें लड़के-लड़कियों की हिस्सेदारी क्रमशः 57% और 43% होगी। कोरोना काल ने बाल श्रम बढ़ाने में विशेष योगदान दिया है।
विश्व स्तर पर बाल श्रम में कुल 15.20 करोड़ बच्चे (8.8 करोड़ लड़के और 6.4 करोड़ लड़कियां) होने का अनुमान है, जो दुनिया भर में सभी बच्चों में से लगभग दस में से एक है। यूनिसेफ कहता है कि दुनिया के सबसे गरीब सबसे कम विकसित देशों में, हर 5 में से 1 से अधिक बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं। साल 2012 में बाल श्रमिकों का वैश्विक आंकड़ा 16.8 करोड़ है।
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अभी भी बाल श्रमिकों की सबसे बड़ी संख्या लगभग 7.8 करोड़ या बाल आबादी का 9.3% है, लेकिन उप-सहारा अफ्रीका बाल श्रम की उच्चतम संख्या 5.9 करोड़, 21% से अधिक वाला क्षेत्र बना हुआ है। विश्व स्तर पर, कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा बाल श्रमिक पाए जा सकते हैं अर्थात 9.8 करोड़ और सेवाएँ 5.4 करोड़, उद्योग में 1.2 करोड़ बाल मजदुर हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनिसेफ के अनुसार, 300000 से अधिक बाल सैनिकों को सशस्त्र युद्ध में मजबूर किया गया।
बाल श्रम को समाप्त करने की लड़ाई में सरकार की मदद करने के लिए यूनिसेफ, केयर इंडिया, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन, ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर, स्माइल फाउंडेशन, डॉन बॉस्को बालप्रफुल्टा, सेव द चिल्ड्रन, चाइल्ड राइट एंड यू, हैंड इन हैंड इंडिया, बचपन बचाओ आंदोलन, तलाश एसोसिएशन, जैसे अनेक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) कार्यरत है। हैंड इन हैंड इंडिया एनजीओ, जिसने 300,000 से अधिक बच्चों (पूर्व बाल मजदूरों) को वापस स्कूल में भेजा। बाल मजदूरी करने की मजबूरी कोई भी हो, लेकिन बाल श्रम गलत है, अपराध है।
सरकार ने बाल श्रम उन्मूलन के लिए विभिन्न कानून नीति और कार्यक्रम शुरू किए हैं, सरकारी नियमों का कड़ाई से पालन हों, यह हम सबकी जिम्मेदारी है। सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा बाल श्रम रोकने के लिए पेंसिल पोर्टल बनाया है। कही पर भी बाल मजदुर नजरआये तो बाल श्रम संबंधित शिकायत के लिए तुरंत पेंसिल पोर्टल पर लॉगिन कर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें या 1098 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें अन्यथा नजदीकी पुलिस स्टेशन से भी संपर्क कर सकते है। गैर सरकारी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन के हेल्पलाइन नंबर 1800-102-7222 पर भी कॉल कर सकते हैं। हमारी जागरूकता किसी मासूम का भविष्य उज्जवल बना सकती है।
- डॉ. प्रितम भि. गेडाम
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