'माँ' पर रचनात्मक स्पर्धा एवं सृजन बिंब प्रकाशन की पुस्तक प्रदर्शनी
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नागपुर। महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा और वामा विमर्श मंच के संयुक्त तत्वावधान में 'माँ' विषय पर गद्य व पद्य लेखन स्पर्धा के अंतर्गत माँ की आराधना और पुस्तक प्रदर्शनी के रूप में सरस्वती माँ की आराधना का महनीय आयोजन राष्ट्रभाषा संकुल शंकरनगर में सोत्साह संपन्न हुआ।
महाराष्ट्र राष्ट्र भाषा सभा के अध्यक्ष अजय पाटिल कार्यक्रम के अध्यक्ष, मुख्य अतिथि की आसंदी पर वरिष्ठ उद्घोषक, प्रसिद्ध मंच संचालक व साहित्यकार किशन शर्मा, विशिष्ट अतिथि अनिल त्रिपाठी बेबाक - सहायक निदेशक आयकर , श्रद्धा भारद्वाज- वरिष्ठ उद्घोषिका आकाशवाणी,
नेहा जोशी - असिस्टेंट मैनेजर लोकमत इवेंट्स, सुष्मिता सिंह - एशिया पैसिफ़िक की बिज़नेस हेड व पारिवारिक काउंसलर, पूर्व नगर सेविका तथा महिला कट्टा की कर्मठ पदाधिकारी प्रगति पाटिल, सृजन बिंब प्रकाशन के सह- निदेशक राजेश नामदेव मंचासीन अतिथि रहे।
हेमलता मिश्र 'मानवी' ने माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की। आयोजन के अतीव खूबसूरत काव्यमयी संचालक के तौर पर तनवीर ख़ान को सभी का स्नेहाशीष मिलता रहा।
अतिथियों के सार्थक उद्बोधन तथा माँ के प्रति सभी की मुखर हृदय स्पर्शी प्रस्तुतियों ने वातावरण को सजीव और संवेदनशील बनाए रखा।
सृजन बिंब से प्रकाशित पुस्तकों के लेखक - लेखिकाओं को ख़ूबसूरत फ़्रेम में जड़ा हुआ प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस अभूतपूर्व और महनीय कार्यक्रम में सृजन बिंब प्रकाशन की निदेशक रीमा दीवान चड्ढा द्वारा अपने पिता - स्व. वेदप्रकाश दीवान की स्मृति में और सह- निदेशक शगुफ़्ता यास्मीन क़ाज़ी द्वारा अपने पिता स्व. मोहम्मद हबीब सौदागर की स्मृति में क्रमशः सुधा राठौर, डाॅ. कृष्णा श्रीवास्तव और डाॅ. शीला भार्गव को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सृजन बिंब सम्मान दिया गया।
'माँ तेरे कितने रूप' विषय पर प्रतिभागियों को दो खण्ड में बाँटकर लेखन और वाचन प्रतिस्पर्धा आयोजित की गई।
विजेताओं को क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार से नवाज़ा गया। निर्णायक की भूमिका में डाॅ. कृष्णा श्रीवास्तव, प्रभा मेहता, हेमलता मिश्र 'मानवी', अर्चना राज चौबे और सुधा राठौर रहीं। सभी प्रतिस्पर्धियों ने बहुत ही सार्थक लेखन और गद्य पद्य प्रस्तुतियाँ दीं।
लेखन में शादाब अंजुम प्रथम,संतोष बुद्धराजा द्वितीय व मधु सिंघी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। वाचन प्रतिस्पर्धा में तनवीर ख़ान प्रथम, मधु पटोदिया द्वितीय व माधुरी मिश्रा तृतीय स्थान पर रहीं। सभी ने विषय के साथ पूरा न्याय करते हुए विजयश्री पायी।
छह वर्षों में सृजन बिंब प्रकाशन से प्रकाशित लगभग 100 से अधिक पुस्तकों की प्रदर्शनी उनकी यात्रा गाथा को मुखरित कर रही थी। सभी नवांकुर लेखकों का परिचय साहित्यप्रेमियों को देते हुए स्वयंसिद्धा प्रकाशक रीमा दीवान चड्ढा ने निःसंदेह अपनी निष्ठा, समर्पण एवं स्नेह से सभी को आप्लावित कर दिया।
कम्प्यूटर आर्टिस्ट नरेंद्र धार्मिक को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। नाश्ते की पार्टी मिली अर्चना राज चौबे से जिन्होंने अपनी बेटी के विवाह की खुशियाँ सदन से साझा की। सभी ने अर्चना जी की बिटिया को स्नेहाशीष दिया।
रेशम मदान और नीलम शुक्ला ने अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभाकर कार्यक्रम की सफ़लता में अपना योगदान दिया। उल्लेखनीय है कि निरंजना गांधी ने अपनी फ़ोटोग्राफ़ी से हर अवसर को क़ैद करके सभी को गदगद किया। शगुफ़्ता क़ाज़ी ने आभार व्यक्त करते हुए सभी की प्रशंसा कर हौसला अफ़ज़ाई की।
साहित्यकार माधुरी राऊलकर, अर्चना सिंह सोनी, रितु असाई, माया शर्मा, आभा आसुदानी, स्वाति सुमेश पैंतिया, सुनीता केसरवानी, आरती पाटिल, शीला शर्मा और किरण हटवार कार्यक्रम में उपस्थित थे।