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ॲलोपॅथी की तुरंत राहत बाद में शरीर से इंतकाम लेती है : डॉ. अनुपमा



ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान का 'आईये करें बातें डाॅक्टर से' कार्यक्रम संपन्न 

नागपुर। जहां तक हो सके, ॲलोपॅथी की दवाईयों से दूर रहिये और नैसर्गिक उपचार अपनाईयें ऐसा आवाहन, रांची की सुविख्यात लाईफ कोच तथा निसर्गोपचार विशेषज्ञ डॉ. अनुपमा बैद्य मिश्रा ने किया. वे ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित आईये करें बातें डाॅक्टर से कार्यक्रम में मुख्य अतिथी के रूप में बोल रहीं थी. 'ढलती उम्र की स्वास्थ्य समस्यायें और बीना औषधी उनसे मुक्ती' यह चर्चा का विषय था.

कार्यक्रम की अध्यक्षता ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान के सचिव डॉ. राजू मिश्रा ने की तथा दत्ता मेघे आयुर्विज्ञान संस्थान की वरिष्ठ डॉ. श्रीमती उगेमुगे ईस अवसर पर प्रमुख अतिथी स्वरूप उपस्थित थी. मंचपर संजीवन निसर्गोपचार केंद्र के संचालक डॉ. संजय उगेमुगे, ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान प्रबोधन समिती के प्रमुख सुरेश कर्दले, डाॅ. मंगला गावंडे और डाॅ राखी खेडिकर की विशेष उपस्थिती थी.
ॲलोपॅथी तुरंत राहत प्रदान करती है पर यह तुरंत राहत बाद में आपके शरीर से इंतकाम लेती है. ईसलिये अतिआवश्यक स्थिती में ही डाॅक्टर की सलाह से दवाई का सेवन करें ऐसा आगे बोलते हुये डॉ. अनुपमा बैद्य मिश्रा ने कहा. निसर्ग आपको बुला रहा है, उससे फिर से जुडने का प्रयास करें, निसर्ग उपचार से शरीर डिटाॅक्स करते हुये अपने अहम और वहम का डिटाॅक्सिंग जरूर करिये ऐसा आवाहन भी उन्होने किया.

अपने समारोपीय भाषण में डॉ. राजू मिश्रा ने समालोचन करते हुये ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान के पूर्णब्रह्म अभियान में  यथा शक्ती सहयोग करें ऐसा अनुरोध उपस्थित लोगों से किया. डाॅ उगेमुगे ने ॲस्टोपॅथी उपचार पद्धती के बारे में बताया तथा सुरेश कर्दले ने प्रस्तावना रखी. डाॅ श्रीमती उगेमुगे ने मुख्य अतिथी का परिचय कराया. डाॅ. राखी खेडिकर ने संचालन और डाॅ. मंगला गावंडे ने आभार प्रदर्शन किया.

इस अवसर पर उपस्थित कई  लोगों ने पूर्णब्रह्म अभियान में सहयोग राशी जमा करवायी. जिसके लिये उनका आभार व्यक्त किया गया. 
कार्यक्रम में डाॅ वेदप्रकाश जैस्वाल, सेवा निवृत्त वरिष्ठ पुलीस अधिकारी सुनील भुते, डाॅ. श्रध्दा प्रशांत, वरिष्ठ पत्रकार अजय पांडे विशेष निमंत्रित के रूप उपस्थित थे तथा ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान समन्वय समिती सदस्य सुनील अडबे, गोविंद पटेल दिपक नक्षणे, डाॅ मिलींद वाचनेकर, डाॅ. दिपक शेंडेकर, डाॅ. बिपीन तिवारी, अनिल पात्रिकर, मधुकर दहिकर, नानासाहेब समर्थ, श्रीधर नहाते, अरूण भुरे, मोहन पांडे, पुष्पाताई देशमुख, कालिंदीनी ढुमणे, माधुरी पाखमोडे, राजवंती देवडे आदी ने कार्यक्रम की सफलता हेतू प्रयास किये.
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