सभी वर्ग के लिए राष्ट्रीय आवास योजना बने
आवास का स्थान ले रही फ्लैट पद्धति
नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। देश और दुनिया में स्वयं की भूमि पर बनाये जानेवाले स्वतंत्र मकान का स्थान फ्लैट संस्कृति ले रही है.सरकार बदलने के साथ साथ नए नए टैक्स, नए नए नियम से आवास निर्माण, पुनरुद्धार में अत्यधिक ज्यादा खर्च आने से स्वतंत्र घर बनाने के स्वप्न धुंधले नजर आ रहे है. दुसरी तरफ केंद्रीय आवास और शहर विकास मंत्रालय देशभर में 8 नए शहर बनाने की स्वीकृति देने जा रही है.
भारत जैसे देश में आज भी 50 से 60 वर्षों से ज्यादा समय से पुराने आवास अभी भी पक्के भवन की तरह प्रयोग में आ रहे है.जबकि वर्तमान समय में बनाई गई इमारतें दस,पन्द्रह वर्ष में ही जर्जर हालत में परिवर्तित हो जाती है. पहले के समय में चुने, मिटटी, पत्थर से बने घर कई दशकों तक टिकाऊ रहते थे.
भारत जैसे देश के अनेक रेलवे स्टेशन की इमारत,सरकारी संसथान, शिक्षण संस्थान की इमारतें ब्रिटिशकाल की निर्मित है. पक्की इमारतों को तोड़कर नयी फ्लैट सिस्टम इमारतें बनाने की पुरे देश में स्पर्द्धा शुरू है.अनेक शहरों में गगनचुंब्बी इमारतें बनाई जा रही है. भारत जैसे देश में आबादी बढ़ती ही जा रही है.
भारत की सरकार द्वारा बनाई गई सरकारी आवास योजना का लाभ सभी को नहीं मिलने से सामान्य नागरिकों में चिंता का माहौल बन रहा है. भारत सरकार के नियम इतने जटिल है कि जरूरतमंद, मध्यमवर्गीय, गरीब अपना स्वयं का आवास नहीं खरीद सकता.
बैंक द्वारा बार बार चक्कर काटने के बाद नागरिक परेशान होकर किराये के मकान में जिंदगी पूरी कर देता है. सरकार की कठोर नियम और कानून प्रणाली से हमारे देश की कई पीढ़ियों के सदस्य स्वयं के आवास लेने को कामयाब नहीं हो सके.
शहरों में आवासीय कर की दरों में बेहताशा वृद्धि से सामान्य नागरिक अपने मकान की देखभाल उचित तरीके से नहीं कर पाता. जहाँ पूर्व में भारतीय संस्कृति अंतर्गत प्रत्येक दीपावली के पहले रंगरोगन की व्यवस्था परिवार किया करते थे. महंगाई के चलते अब सालों तक दीवारों की साफ़ सफाई नहीं होती.
भारत सरकार के केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय से भारत की जनता का निवेदन है कि आवास योजना में सभी वर्ग के लिए एक राष्ट्रीय आवास योजना को मंजूरी दी जाए. फिर बाद में देशभर में नए नए शहरों के निर्माण करने के विचार किये जाए.