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साधारण नागरिकों को ऑनलाइन की तकनिकी शिक्षा लेना जरुरी!



नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। विश्वस्तर पर सरकारी कार्यालयों, बैंक, रेलवे, हवाई जहाज, निजी क्षेत्र के स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल के साथ न्यायप्रणाली भी ऑनलाइन के दायरे में आ चुकी है. यहाँ तक की हाथ से चलने वाली टाइपराइटर भी आजकल प्रयोग में नहीं लाये जा रहे है. उसकी जगह लैपटॉप, मोबाइल, कंप्यूटर ले चुके है. 

जिससे साधारण नागरिक जिन्हें कंप्यूटर का ज्ञान ना होने से और ऑनलाइन की तकनिकी शिक्षा नहीं मिलने से व्यवहार में असुविधा हो रही है. वहीँ भारत जैसे हिंदी भाषी देश में अंग्रेजी में ब्रिटिशकाल की कानूनी शिक्षा के होने से आम सामान्य नागरिकों को भी असुविधा हो रही है. देश के न्यायाधीशों में भी इस विषय में बहस छिड़ गई है. 

भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में 75 वर्ष बाद भी न्यायालयों में अंग्रेजी का प्रभुत्व होने से देश की जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है. वहीँ वर्तमान समय में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में पेपरलेस और वर्चुअल कोर्ट होने से ज्यादातर अदालतें लाइव स्ट्रीमिंग कर रही है. 

सम्पूर्ण भारत के नए शिक्षा अभियान में प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च मध्यमिक शिक्षा में कानून की शिक्षा के विषय भी पढ़ाने की जरुरत है. पेपरलेस कोर्ट के निर्माण करने से पहले पुरातन प्रणाली के तथ्यों की तरफ भी ध्यान देना होगा. 

आज न्याय प्रणाली भी यू ट्यूब, ऑनलाइन, जीमेल के सॉफ्टवेयर की तरफ रुख करने लगी है. जबकि भारत के ग्रामीण, शहरी भाग में रह रहे अनेक नागरिकों को आधुनिक प्रणाली का ज्ञान नहीं.
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