यादों के दस्तावेज...
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पुरानी यादों के दस्तावेज
उनमें संजो रखी हैं
कुछ खट्टी मीठी यादें
कुछ सच्चे और झूठे वादे
तन्हाइयों मैं पलटती हूं पन्ने
तो नजर आते हैं हौसले व इरादे
तस्वीरें हैं कुछ बचपन की
तो कुछ हैं मन की चाहतें
कहीं उमंग है कुछ पाने की
तो कहीं खोने का गम भी है
जो मिल ना सका उसकी रंजिश
जो मिला उसकी खुशी भी है
बड़ी अजीब है यह जिंदगी
कभी चेहरे पर चमक
तो कभी आंखें नम भी हैं
अभी अधूरे हैं कई पन्ने
पर उम्र की इस दहलीज
अब समय कम भी है
नहीं हारी हूं जिंदगी से
हालातों से लड़ने का दम भी है.
- सुनीता (बाबा) श्रीवास्तव
गुलाब चौराहा,
नरसिंहपुर (म. प्र.)