उच्च रक्तचाप की ओर अनदेखी, छीन सकती है अनमोल जिंदगी
आज के आधुनिक माहौल ने मनुष्य को नवनवीन सुविधाओं युक्त बनाया है, लेकिन इसके विपरीत इन्ही सुविधाओं ने काफी हद तक मानवीय शरीर को बेहद कमजोर कर दिया है, जिसके कारण तेजी से स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही है।
हर ओर प्रदुषण, अशुद्ध हवा-पानी, रेडिएशन, मिलावटखोरी, घातक रसायनों का प्रयोग, शोर, ई-कचरा, प्लास्टिक वेस्ट, घटती हरियाली, बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं, ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं लोगों को घुट-घुट कर बीमारी से मार रही है। वैसे ही लोगों में बढ़ती स्वार्थवृत्ति, अपराध, भ्रष्टाचार, झूठा दिखावा, नशाखोरी, दुर्व्यवहार, धोखाधड़ी जैसी समस्या समाज को बर्बाद कर ही रही है।
औसत आयु भी लगातार कम हो रही है, ऐसे घुटन भरे माहौल में शरीर स्वस्थ रखना कठिन हो रहा है और बीमारियों का साम्राज्य विनाशकारी रूप धारण कर रहा है। जिसमें सामान्य रूप से नजर आने वाली बीमारी उच्च रक्तचाप है। उच्च रक्तचाप जिसे सामान्य बोलीभाषा में बीपी (ब्लड प्रेशर) बढ़ना कहते है।
उच्च रक्तचाप वह स्थिति है जिसमे शरीर की धमनिया प्रभावित होती है, इसे हाइपरटेंशन भी कहते हैं। इसमें धमनी की दीवारों के विरुद्ध रक्त का बल लगातार बहुत अधिक होता है, अर्थात रक्तचाप जितना बढ़ता है, हृदय को रक्त पंप करना उतना ही कठिन होता है। रक्त पंप करने के लिए हृदय को सामान्य से ज्यादा मेहनत करना पड़ता है।
हर साल 17 मई को 'विश्व उच्च रक्तचाप दिवस' मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों में उच्च रक्तचाप के लक्षणों के प्रति जागरूकता, रक्तचाप जाँचने के लिए प्रेरणा, समस्या पर शीघ्र रोकथाम के तरीकों का ज्ञान और समाज में उच्च रक्तचाप की व्यापकता पर प्रकाश डालना यह है।
उच्च रक्तचाप दुनिया भर में अकाल मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। उच्च रक्तचाप को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण स्पष्ट रूप से नजर नहीं आते। अस्वास्थ्यकर जीवनशैली उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ाती है। तनाव, अधिक नमक का सेवन, अधिक वजन होना, व्यायाम की कमी, नशा, तंबाकू और धूम्रपान घातक है।
अनियंत्रित रक्तचाप हृदय रोगों, स्ट्रोक और गुर्दे की बीमारी जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का एक प्रमुख कारण है। भारत में कुल मौतों में से 27% हृदय रोग के कारण होती हैं, जो 40-69 आयु वर्ग के 45% लोगों को प्रभावित करती हैं। मधुमेह वाले 10 में से लगभग 6 लोगों को उच्च रक्तचाप भी होता है।
भारत देश की स्थिति भयावह
उच्च रक्तचाप के प्रसार के मामले में 2019 में पुरुषों और महिलाओं के बीच भारत विश्व स्तर पर क्रमशः 156 और 164 वें स्थान पर था। भारत में 31% आबादी को उच्च रक्तचाप है। लगभग 33% शहरी और 25% ग्रामीण भारतीय उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं। भारत में उच्च रक्तचाप के रोगियों की संख्या 2000 में 118.2 मिलियन से दोगुनी होकर 2025 तक 213.5 मिलियन होने की संभावना है। इसके बाद देश को उच्च रक्तचाप के हब के रूप में जाना जायेगा।
मेडिकल जर्नल द लैंसेट में 2016-20 के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 75% से अधिक रोगियों को उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) का पता चला है, लेकिन यह नियंत्रण में नहीं है। भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल अनुसार, देश में अनुमानित 20 करोड़ लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित है, उनमें से 10% से भी कम का रक्तचाप नियंत्रण में है।
किसी अन्य कारण से अधिक उच्च रक्तचाप वयस्कों की जान लेता है। भारत सरकार ने भारतीय उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (आईएचसीआई) की शुरुआत की है एवं 2025 तक उच्च रक्तचाप (बढ़ा हुआ रक्तचाप) के प्रसार में 25% सापेक्ष कमी का लक्ष्य रखा है।
विश्व स्तर पर स्थिति लगातार बिगड़ रही
विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार मुख्य तथ्य दर्शाते है कि, विश्व स्तर पर उच्च रक्तचाप अनुमानित 1.28 बिलियन लोगों को प्रभावित करता है, जिनमें से दो तिहाई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हैं।
विश्व स्तर पर उच्च रक्तचाप वाले अनुमानित 46% लोग इस बात से अनजान हैं कि उन्हें यह समस्या है, उच्च रक्तचाप वाले 5 में से सिर्फ 1 वयस्क इसे नियंत्रण में रखता है, जिसका अर्थ है कि 80% जटिलताओं का महत्वपूर्ण जोखिम है। भारत देश में वर्ष 2030 में उच्च रक्तचाप का प्रसार बढ़कर 44% हो जाएगा, जो कि डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रस्तावित वर्ष 2030 तक 25% की सापेक्ष गिरावट के बजाय 17% की सापेक्ष वृद्धि होगी।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया भर में बढ़े हुए रक्तचाप के कारण 7.5 मिलियन लोगों की मौत होने का अनुमान है, जो कुल मौतों का लगभग 12.8% है। उच्च रक्तचाप वाले आधे से अधिक लोग अनुमानित 720 मिलियन लोगों को आवश्यक उपचार नहीं मिला। 2020 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में 670,000 से अधिक मौतों में उच्च रक्तचाप का योगदान था।
जीवन के अमूल्यता का मोल समझें
जिस तरह के वातावरण में आज हम साँस ले रहे है और स्वास्थ्य संबंधित परिस्थितियां लगातार ख़राब हो रही है उससे तो यही लगता है कि आनेवाले कल में जीवन बहुत कष्टदायक व संघर्षमय होगा। छोटे-छोटे बच्चे भी गंभीर बीमारियों का शिकार होकर जान गवां रहे है। पहले जो बीमारियां कभी-कभार सुनाई देती थी, आज वो बीमारियां हमारे आसपास हर दम देखने-सुनने मिलती है।
इस माहौल के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हमारी आधुनिक जीवनशैली है। आज हम आधुनिक तकनीक के गुलाम हो गए है। आज लोग स्वाद के हिसाब से खाद्य पदार्थों का चयन करते है ना कि पौष्टिकता के बल पर, जिसके कारण हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है।
यांत्रिक संसाधनों के द्वारा मनुष्य के श्रम की बचत होती है, जिससे मनुष्य का शरीर ज्यादा गतिविधियां नहीं करता है। नशाखोरी और धूम्रपान शरीर को खोखला कर रहा है। अशुद्ध हवा-पानी और प्रदूषण मनुष्य को धीमे जहर की तरह मार रहा है। आज समाज में साधारणत सभी समस्याएं मानव निर्मित ही है।
चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो, दुनिया भर की दौलत लुटा कर भी हम एक पल की जिंदगी खरीद नहीं सकते। आज के समय में हमारे अनमोल जिंदगी का मोल हमें खुद ही समझना होगा और बेहतर जीवनशैली की शुरुआत करनी होगी।
पोषक खाद्य, रोज व्यायाम, वजन पर नियंत्रण, नशे से दूरी, 8 घंटो की पूरी नींद, नित्य शारीरिक गतिविधि, खेल-कूद, सकारात्मक विचार, नमक, शक्कर, खाद्यतेल जैसे पदार्थों का सीमित उपयोग, प्रकृति से स्नेह, और नीति नियमों का पालन मनुष्य के स्वास्थ्य और मन को नई चेतना उमंग प्रदान करता है।
उच्च रक्तचाप भी इसी प्रकार नियंत्रण में रह सकता है। स्वस्थ वयस्क लोगों को एक महीने में एक बार रक्तचाप की जांच करानी चाहिए, अगर उच्च रक्तचाप की समस्या हो तो घबराएं नहीं, चिकित्सक के सलाह अनुसार उपचार करायें।
समय पर सही उपचार आने वाले हृदय रोग, स्ट्रोक या मौत को भी टाल सकता है और इलाज से भी बेहतर है पहले से बचाव या सुरक्षा करना। समाधानी बनें, प्रकृति जीवनदायिनी है, उसकी रक्षा करें। हमेशा खुश रहें, जिम्मेदारियों को समझें, सकारात्मक सोच और समझदारी का परिचय दें, स्वस्थ रहें, तनाव मुक्त जीवन जिएं।
- डॉ. प्रितम भि. गेडाम
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