बेज़ुबां तस्वीर...
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तेरे इस तस्वीर को,
बार बार छूता हूँ
तेरी इस तस्वीर को,
लगता है अभी बोल उठेंगी
यह मूक तस्वीर,
निहारते रहता हूँ
बेजुबां तस्वीर को।।
काश कि सुन सकती,
महसूस करती,
पलकें झपकाती,
तेरी यह तस्वीर,
दिल की धड़कनें
सुना देता
बेज़ुबां तस्वीर को।।
बहुत नाज़ नखरे हैं
तेरे इस तस्वीर में,
साज है, आवाज नहीं,
तेरे इस तस्वीर में,
जिधर भी जाऊं,
तकती तू तस्वीर से,
बिन कुछ कहे
बतियाती है ये
बहुत बातूनी,
बेज़ुबां तस्वीर है ये।।
- डॉ. शिवनारायण आचार्य
नागपुर (महाराष्ट्र)