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ग्राम गीता ही ग्रामीण विकास का मूल मंत्र है : डॉ. संजय भक्ते



नागपुर। ग्राम जयंती के राष्ट्रसंतों की संकल्पना प्रस्तुत - व्यक्तिगत पूजा को स्वीकार न करने वाले राष्ट्रसंतों ने अपनी जयंती मनाने का विरोध करते हुए ग्राम जयंती की अवधारणा का प्रस्ताव रखा. ग्रामीण लोग और गांव हमेशा राष्ट्रसंत की सोच का विषय रहे हैं. उसके लिए ग्राम गीता लिखी गई थी.
तुकडोजी महाराज वास्तव में एक राष्ट्रीय संत थे, डॉ. संजय भक्ते ने संतों और राष्ट्रीय संतों के बारे में विस्तार से बताते हुए राष्ट्रीय संतों की अवधारणा पर प्रकाश डाला.

यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान केंद्र नागपुर द्वारा राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में डॉक्टर संजय भक्ते ने ग्राम जयंती, ग्राम गीता की रचना और तुकडोजी महाराज के जीवन दर्शन की विस्तृत व्यवस्था की गई थी. डॉ. मंजूषा सावरकर ने प्रस्तावना में राष्ट्रसंत की ग्राम जयंती पर आयोजित कार्यक्रम की भूमिका के बारे में बताया 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के उपाध्यक्ष राजाभाऊ टाकसाले ने विचार व्यक्त किया कि राष्ट्रीय संतों का मानवीय दृष्टिकोण समय की मांग है, और राष्ट्रीय संतों के विचार और सामुदायिक प्रार्थना आनेवाले पिढोयो के माध्यम से गांव-गांव चलती रहनी चाहिए.

कार्यक्रम में गुलाबराव उके, अभय महांकाल, नीलेश खांडेकर, रवि देशमुख, राजू राउत, संदेश सिंघलकर, आनंद महले, राजू लांडे, अतुल कटरे, पुरुषोत्तम गोतमारे आदि उपस्थित थे. सूत्र संचालन अनिल इंदाने ने ओर आभार डॉ. कोमल ठाकरे ने माने. 
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