व्यस्त रहिए, मस्त रहिए, स्वस्थ रहिए : प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन शेख
मैंने जीवन में जो कुछ प्राप्त किया उसका सारा श्रेय न्यू आर्टस् महाविद्यालय और हिंदी विभाग को है। ऐसा प्रतिपादन न्यू आर्टस् महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सन 1970 के प्रथम बैच के छात्र प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने किया।
अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज द्वारा संचालित 'न्यू आर्टस्, कामर्स एंड साइंस कालेज, अहमदनगर' के हिंदी विभाग एवं पूर्व छात्र संघ द्वारा आभासी पटल पर शनिवार, 29 अप्रैल को आयोजित 'पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन' समारोह में डॉ. शहाबुद्दीन शेख मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन दे रहे थे।
डॉ. शेख ने कहा कि पूर्व छात्रों में अपने महाविद्यालय के प्रति प्रतिबद्धता का भाव होना आवश्यक है। विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत पूर्व छात्रों को अपने महाविद्यालय और विभाग से जुड़े रहने का आवाहन उन्होंने किया।
वेतन भोगी मानसिकता व्यक्ति, विभाग, संस्था और समाज को हानि पहुँचाती है। अपनी दिनचर्या निभाते हुए 'व्यस्त रहिए, मस्त रहिए, स्वस्थ रहिए' यह महत्वपूर्ण संदेश समारोह के मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने पूर्व छात्रों को दिया।
प्राचार्य डॉ. भास्कर झावरे के मार्गदर्शन में संपन्न इस 'पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन' समारोह में महाविद्यालय के उपप्राचार्य डॉ. बाळासाहेब सागडे अध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे।
अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. सागडे ने उपस्थित अतिथि एवं पूर्व छात्रों का स्वागत करते हुए संस्था और महाविद्यालय के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि हुतात्मा करवीर छत्रपति चौथे शिवाजी महाराज के बलिदान से पुनित भूमि में राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज के आशीर्वाद से अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज संस्था ने यहीं पर सौ वर्ष पूर्व 'मराठा बोर्डिंग' के रूप में लगाया हुआ पौधा आज एक विशाल वृक्ष बन गया है।
तीन वर्ष पूर्व हर्षोल्लास के साथ संस्था का शताब्दी वर्ष समारोह संपन्न हुआ। संस्था के न्यू आर्टस्, कॉमर्स एन्ड साइन्स कॉलेज, अहमदनगर ने भी दो वर्ष पूर्व अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया।
नैक द्वारा पुनर्मूल्यांकन में A++ श्रेणी देकर महाविद्यालय को संपूर्ण देश में द्वितीय तथा महाराष्ट्र में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। महाविद्यालय को शैक्षणिक वर्ष 2021 -22 से यूजीसी द्वारा स्वायत्त अर्थात स्वशासी महाविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ है। सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे द्वारा 'उत्कृष्ठ महाविद्यालय' का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।
डॉ. बाळासाहेब सागडे ने आगे कहा कि हमारी संस्था और महाविद्यालय के लिए यह हर्ष और गौरव की बात है कि हिंदी विभाग के पूर्व छात्र आज विभिन्न क्षेत्रों में महाविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। पूर्व विद्यार्थी महाविद्यालय के आभूषण होते हैं। आपके सहयोग से ही हिंदी विभाग प्रगति के इस शिखर तक पहुँचा है। मुझे आशा है कि भविष्य में भी आपका इसी प्रकार सहयोग मिलता रहेगा। आपकी आज की उपस्थिति सराहनीय है। हिंदी अनुसंधान केन्द्र पर लगभग सौ छात्र पीएच. डी. शोध - कार्य कर रहे हैं।
हिंदी विभाग प्रमुख प्रो. डॉ. हनुमंत जगताप ने पूर्व विद्यार्थियों के साथ संवाद स्थापित करते हुए कहा कि हम सब एक परिवार के सदस्य हैं। हमारा रिश्ता केवल अध्यापक और छात्र का न होकर हमारे बीच मित्रता का संबंध होना आवश्यक है। उन्होंने छात्रों को जीवन में आनेवाली हर समस्या का समाधान ढूँढते हुए सकारात्मक रवैया अपनाने की सलाह दी। अगले वर्ष 'पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन' इससे भी अधिक बड़े पैमाने पर भौतिक रूप से आयोजित करने का मानस डॉ. जगताप जी ने व्यक्त किया।
समारोह के प्रारंभ में कु. करुणा रोकडे ने अपने सुमधुर आवाज में स्वागत गीत प्रस्तुत किया। प्रो. डॉ. सुनीता मोटे ने कार्यक्रम का प्रास्ताविक किया। प्रा. सोनाली हरदास ने समारोह का सूत्र संचालन किया तथा डॉ. सोपान दहातोंडे ने आभार ज्ञापन किया। समारोह को सफल बनाने में विभागीय प्राध्यापक प्रो. डॉ. अशोक गायकवाड, डॉ. ज्ञानदेव कोल्हे तथा डॉ. नयना कडाळे ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ. अशोक घोरपडे, प्रा. रुपाली रासने (विंचूरकर), प्रा. वर्षा आढाव, प्रा. दत्तात्रय शेळके, श्री विजय बेल्हेकर, प्रा. रूपाली महाले, प्रा. लक्ष्मी कर्डीले आदि पूर्व छात्रों ने अपने मंतव्य में प्रातिनिधिक तौर पर महाविद्यालय एवं विभाग के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। पूर्व छात्रों ने विभागीय ग्रंथालय को पुस्तकें भेंट देने का निश्चय किया। आभासी पटल पर आयोजित इस 'पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन' में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक तथा लगभग सौ से भी अधिक पूर्व छात्र उपस्थित थे।