विश्वस्तर पर भारतीय मीडिया का 161 वें क्रमांक पर होना चिंतनीय
आबादी के मामले में भारत प्रथम क्रमांक की होड़ में शामिल हो रहा है.वही प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में कुल 180 देश की सूची में भारत का स्थान 161 वां है.इनमें से लगभग 31 से ज्यादा देशों की पत्रकारिता की स्थिति बहुत ही दयनीय है.अनेक देशों में पत्रकारों के जीवन संकटमय होने से पालकवर्ग अपने पाल्य, पाल्या को यह पेशा नहीं दिलवा रहे है.
चूँकि यह पेशा बहुत ही चुनौतीपूर्ण है.पत्रकार अपने मेहनत के साथ अपने परिवार के त्याग के साथ चौबीस घंटे में से रात्रि के समय में ज्यादा से ज्यादा घंटे समाचार पत्र लिखने और पढ़ने में व्यतीत करते है.पत्रकार पेशे में प्रधान संपादक,प्रतिनिधि,उपसंपादक,साधारण पत्रकार,स्ट्रिंगर जैसी त्याग करनेवाले पद भी शामिल है.
रात्रि में आँख की परवाह नहीं करते हुए पत्रकार अपने जीवन के महत्वपूर्ण पल खर्च करते है.फिर भी सरकार की तरफ से पत्रकारों के जीवन,रोजगार के लिए भारत में कोई भी महत्वपूर्ण सुविधाएँ नहीं है.भारत जैसे देश में पत्रकार के जीवन की रक्षा के लिए सुरक्षा प्रणाली,चिकित्सा ,स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई सुविधा नहीं है.
रचनात्मक पत्रकारों का निजी,सरकारी क्षेत्र में बिना शुल्क के दोहन पिछले 75 वर्ष से किया गया.जिसमे अनेक पत्रकारों ने अपना जीवन देश की भक्ति,सेवा में समर्पित कर दिया.भारत की सरकार को प्रथम क्रमांक रहे नॉर्वे,द्वितीय क्रमांक रहे आयरलैंड,तृतीय क्रमांक रहे डेन्मार्क,चतुर्थ क्रमांक रहे स्वीडन,पांचवे क्रमांक रहे फ़िनलैंड जैसे छोटे छोटे देशों से पत्रकारिता क्षेत्र में सुधार करने के गुण लेने होंगे.वर्तमान इंडेक्स मे पडोसी देश पाकिस्तान का स्थान 150 वा है।पत्रकारिता के पेशे का आज भी महत्त्व है.सूचना आदान प्रदान की भी विश्व को जरुरत है.
आज व्यापार,व्यवसाय,ज्ञान,विज्ञान,आधुनिक अविष्कार,स्वास्थ्य,इतिहास,भूगोल,संस्कृति,सरकारी ख़बरें देश के नागरिकों को समाचार माध्यम से संपादक,प्रतिनिधि,पत्रकारों के माध्यम से कागजी समाचार पत्र, इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक चैनल, मोबाइल से मिल रही है.
सिंगापूर जैसे देश में कागजी समाचार पत्र की कीमत लगभग 72/- भारतीय रुपये प्रति नग समाचार पत्र हो चुकी है.भारत के केंद्रीय सूचनाओं प्रसारण मंत्रालय को देश की मीडिया समझे जाने वाले चौथे स्तम्भ पर भी ध्यान देना होगा.
भारत को अब आबादी के साथ प्रथम क्रमांक के फ्रीडम इंडेक्स के लिए पत्रकारिता पेशे को भी महत्त्व देना होगा.विश्वस्तर पर विकास,विश्वास को साथ में रखते हुए संचार क्षेत्र में बदलाव की जरुरत है.आज भारत की न्याय प्रणाली, यातायात प्रणाली के साथ पत्रकारिता प्रणाली को भी महत्त्व देना होगा.