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प्रधान महालेखाकार प्रवीर कुमार के तबादले पर नम आंखों से दी विदाई



नागपुर। बड़े से बड़े दर्द को सह लेनेवाला इंसान सिर्फ इसलिए अपने आँसु नहीं रोक पाया क्यों कि, उनके विभाग प्रमुख का तबादला दिल्ली मुख्यालय में हो गया गेट पर तैनात सुरक्षा रक्षक से लेकर उच्च अधिकारी तक सभी भाव विभोर हो गए। ये किसी ओर के लिए नहीं तो अपने कार्यालय प्रमुख के लिए।

जी हा प्रधान महालेखाकार कार्यालय लेखा व हकदारी-2 महाराष्ट्र नागपुर के प्रधान महालेखाकार प्रवीर कुमार का तबादला दिल्ली मुख्यालय में हो गया इसमें कोई बड़ी बात नहीं। अधिकारी आते है और जाते हैं पर प्रवीर कुमार ने ऐसा एक साल नौ महीनों में क्या कर दिया जिसके कारण सुरक्षा रक्षक से उच्च अधिकारी तक उनके विदाई समारोह में अपने आंसु नहीं रोक पाए। 

प्रवीर जी की काम करने की शैली ही अलग है, वो जानते हैं की जैसा मैं हूं वैसे ही सब है। सभी के जीवन में उतार चढ़ाव हैं किसी के पास पैसा होकर भी सुख नहीं है तो कोई बैगैर पैसे के भी सुखी हैं, इसलिए वे हर किसी को उसके बात करने के व्यवहार से ही जान लेते हैं।
प्रवीर कुमार ने नागपुर आते ही सबसे पहले अपने कार्यालय की नई तथा पुरानी इमारतों के सौंदर्यकरण के कार्य को अपने कार्यकाल में पूर्ण किया। 

आज देखा जा सकता हैं की पुरानी इमारत जहां पेंशन विभाग हैं वहां जब कोई पेंशनर अपनी पेंशन कि जानकारी लेने आता हैं और समाधानी होकर दोपहर का खाना खाने कार्यालय के हरी भरी घास पर बैठता है तो कहता हैं 'आपल काम त झाल पन ईतचे लोक किती चांगले हाय इथ जेवताना कुठतरी पार्क मदी असल्याचा भास होत आहे' केवल एक वर्ष नौ महीने में कोई अधिकारी ऐसा काम करे, जो सब के दिल में बस जाएं, किसे नहीं चाहिए। इसीलिए दिल्ली मुख्यालय ने उन्हें अपने पास बुला लिया।

प्रवीर जी के विदाई समारोह का आयोजन 13 अप्रैल 2023 को कार्यालय के एम पी हॉल में आयोजित किया गया सभागृह खचाखच भरा हुआ था इस अवसर पर वरिष्ठ उपमहलेखाकार दिनेश माटे, वरिष्ठ उपमहलेखाकार प्रशासन अक्षय मोहन खंडारे, वरिष्ठ लेखा अधिकारी डी के वर्मा, नागराजन, वरिष्ठ लेखाधिकारी चौरी, यशवंत खापरे एल के सिंग, और कई मान्यवरों ने अपना मनोगत व्यक्त किया। 

मोहम्मद सलीम ने अपना मनोगत व्यक्त करते हुए प्रवीर जी के लिए कहां 'सावन का महीना सुहाना लगता है, डाल का हर कर फूल गुलिस्तां लगता है, वो आए तो थे कुछ वक़्त के लिए, बीच हमारे, उनके साथ बिताया हर एक पल ज़माना लगता हैं'।

इसके बाद प्रवीर जी ने अपने संबोधन में कहा कि जिस दिन मैं यहां आया और जिस तरह से मेरा यहां स्वागत हुआ ये देखकर मैं उसी दिन से आपके आपुलकी का कायल हो गया। मैं भले ही यहां से जा रहा हूं पर आपके साथ सदा रहूंगा, आप सभी कि एकात्मता मैंने यहां देखी, ऐसा मैंने अपने जीवन काल में कहीं नहीं देखी। 

काम का बोझ होने के बावजूद आप कार्यालयीन गतिविधियों में भी अपना शतप्रतिशत योगदान देते हो जिस कारण हमारे कार्यालय का पूरे भारत के ए जी ऑफिस में नाम लिया जाता हैं। 

मुझे अवसर मिला और पूछा गया कि अगली बार कहां जाना चाहोगे तो मै नागपुर ही आना चाहूंगा, आप के बीच, मैंने कुछ काम नहीं किया, हो गया, कुछ रह गया पर आनेवाले वक़्त में वो भी जल्द पूरा होगा, इसका मुझे विश्वास हैं, इसका जायजा मैं दिल्ली रहते हुए भी लेता रहूंगा और जब काम पूरा होगा मैं ज़रूर आऊंगा।

इस अवसर पर नंदू कपूर इन्होंने प्रवीर जी को कविताओं से सज्ज नौ फिट ग्रीटिंग भेट की जिसमे उनकी कविता 'ऐसा पहिली बार हुआ है' लिखीं गई हैं जो प्रवीर जी के लिए एकदम मार्मिक हैं।

प्रवीर कुमार जैसे अधिकारी होते नहीं हो जाते हैं जो अपना मुकाम दुनियां के साथ दिल में भी बना जाते हैं। प्रवीर जी के बिदाई समारोह पर सुरक्षा रक्षक से लेकर उच्च अधिकारी तक कोई अपने आसू रोक नहीं पाया यहीं प्रवीर जी के कार्यकुशलता की और स्नेह की निव है।
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