मुश्किल वक्त में भी ख़ुद पर यकीन सफलता का मूल मंत्र : कुमार संदीप
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नागपुर/मुजफ्फरपुर। मुश्किल जब हमारे आँगन में प्रवेश करती है तो हमें मुश्किल का स्वागत भी ठीक उसी तरह करना चाहिए जिस तरह हम अपनी अतिथि का स्वागत करते हैं।
अतिथि का आना हमारे अंतर्मन में ख़ुशियों के अनगिनत दीपक प्रज्ज्वलित करने में सक्षम है, वहीं मुश्किल भी जब हमारे जीवन में आती है तो कहीं ना कहीं हमें और मजबूत बनाने के लिए ही आती हैं। हमें मुश्किलों से ऊबना नहीं बल्कि मुश्किलों से लड़ने का संकल्प लेना चाहिए। जी हाँ, संदीप का जीवन इन्हीं विचारों को कहीं ना कहीं सार्थक सिद्ध करता है।
संदीप बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले के सिमरा गाँव के रहने वाले 23 वर्षीय युवा लेखक व कोचिंग संचालक हैं। इन्हें अल्प आयु से ही संघर्ष करना पड़ा है, जब इनकी दसवीं की बोर्ड परीक्षा में भी नहीं हुई थी तभी इनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया। उस वक्त भी इन्होंने ख़ुद को संभाला व पिता के देवलोक ग़मन के उपरांत महज 16 वर्ष की आयु में ही बच्चों का अध्यापपन कार्य अपने आवास पर ही आरंभ कर दिया।
साहित्यिक रचनाओं को पढ़ने की ललक संदीप को फेसबुक से जुड़ने के पश्चात लगी। संदीप बताते हैं कि फेसबुक पर उनकी मित्रता सूची में विद्यमान देश के विविध हिस्सों के समस्त आदरणीय जनों, गुरुजनों ने उनके डगमगाती कलम संभाला है व संघर्ष के दिनों में प्रेरणा देने का कार्य किया है।
इसी का परिणाम है कि इनकी हाल ही में एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसका नाम है: 'ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम'। जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि यह पुस्तक एक मोटिवेशनल पुस्तक है। इस पुस्तक में संदीप ने कुल 450 विचार लिखें हैं, जिन्हें पढ़कर हर युवा प्रेरणा ले सकता है। हर युवा यदि इनकी पुस्तक के हर पृष्ठ को पढ़ें तो उसे अपने जीवन में आशा व उम्मीद की अनगिनत किरण नज़र आ सकती हैं।
जिस उम्र में युवा ग़लत रास्ते पर कदम बढ़ाकर ख़ुद के भविष्य के संग खिलवाड़ करते हैं उस उम्र में संदीप अपनी कलम द्वारा युवा के भविष्य को संवारने के लिए समाज के समक्ष लाएं हैं, 'ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम'। हर युवा वर्ग, को इस पुस्तक को पढ़कर प्रेरणा लेना चाहिए।