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डाॅ. मुकुंद शेवरे : सहज योग के कारवां को बढ़ाने वाली शख्सियत


प. पू. श्री माताजी निर्मला देवी के मानस पुत्र, ध्यान योगी के 26 अप्रैल जन्मदिवस पर विशेष

यह सर्व विदित है कि कलियुग तो शापित था ही, पर आदिशक्ति ने अपनी ऊर्जा का संचरण कर जिस सृष्टि का निर्माण किया वह सृष्टि न तो नष्ट हो सकती थी और न ही थम सकती है। दैवीय साम्राज्य में आदिशक्ति की आज्ञानुसार जो रूपरेखा बनाई गई उस सुंदर रचना का एक भी तिनका कोई इधर से उधर करने का अधिकारी नहीं था। और कलियुग के भयानक समय में मानव की भ्रष्ट वृत्ति,व्यभिचार, मूर्खता, अंहकार के अतिरेक के कारण  स्वयं श्री आदिशक्ति को ही धरती पर मानव कल्याण के लिए आना पड़ा। 

इसी आलोक में 5 मई, 1970 में उन्होंने सहजयोग ध्यान द्वारा मानव के अंदर स्थित कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने का सुगम,सरल एवं मानव उत्क्रांति का सशक्त मार्ग तैयार किया। सहजयोग का आध्यात्मिक ज्ञान, सागर जैसा विशाल और विस्तृत है और मानव कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भी। परन्तु, मानव जाति की जड़ता, अंहकार जनित भ्रमित विचार श्री आदिशक्ति निर्मला माताजी के विशुद्ध ज्ञान को ग्रहण न कर सके, मानव सदा भ्रमित था, रहा है और शायद रहेगा भी...। तब श्री आदिशक्ति भी दुखी हो यह विचार करने लगी कि भविष्य में सहजयोग की कमान कौन संभालेगा? 

और एक दशक ऐसा भी आया कि स्वयं आदिशक्ति भी मौन हो गईं। पर कहते हैं न तेरा तुझको अर्पण... आदिशक्ति की रचना को कोई छिन्न-भिन्न नहीं कर सकता...
महाराष्ट्र के सोनज गांव में 26 अप्रैल 1980 में जन्मे इस बालक में आध्यात्मिक उत्थान को उसके सहजयोगी काका जो श्री माताजी निर्मला देवी के विशेष साधकों में एक थे, उन्होंने पहचाना और सहजयोग ज्ञान से  उसे परिचय कराया।

जी हां, डाॅ मुकुंद शेवरे ने श्री निर्मला माताजी के द्वारा बताए शुद्ध ज्ञान को पूरी तरह समझा और उसे आत्मसात करने के साथ साथ शोध भी करते चले गए। श्री माताजी का ध्यान करना और उनके चैतन्य सान्निध्य में लीन रहना यह उनमें एक संत होने का विलक्षण गुण दर्शाता था।
और अब श्री माताजी के आशीर्वाद से ऐसा समय आया है कि  उनके हाथों से चेतन चैतन्य का सैलाब उमड़ता है और उनके संपर्क में आने वाला कोई भी दुखी,रोगी,परेशान व्यक्ति अपनी समस्याओं से मुक्ति पा रहा है...

श्री मुकुंद शेवरे ने अपना सर्वस्व जीवन सहजयोग एवं श्री आदिशक्ति माताजी के श्री चरणों में समर्पित कर दिया। परम चैतन्य फाउंडेशन की स्थापना कर पूरे विश्व में सहजयोग ध्यान और चैतन्य की महत्ता को एक नई राह दिखाई।
आज अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश - विदेश में डाॅ मुकुंद शेवरे द्वारा सहजयोग प्रदत्त विविध शोधों पर चर्चा हो रही है और लोग चैतन्य के वैज्ञानिक पहलू को स्वीकार भी कर रहे हैं।

हम सभी भाग्यशाली हैं, श्री आदिशक्ति ने मानव कल्याण हेतु वैकुंठ में जो रूपरेखा तैयार की थी, उसको सतयुग तक पहुंचाने हेतु उनके रूप में एक मार्गदर्शक या कहें कि देवदूत हमारे बीच भेज दिया है आदिशक्ति के आंचल को थामकर, समझा इसने उत्क्रांति का  रहस्य, चल पड़ा रमता जोगी, लगाया जीवन पूर्ण दांव पर, आदिशक्ति की भक्ति में लिप्त
चैतन्य की धारा से लबरेज़, सहजयोग को पंहुचा रहे, एक नये आयाम पर...।

एक मां, जो अपनी संतान को सदैव अभय ही देती है, उन्होंने ही हमें तोहफ़ा दिया, श्री माताजी ने हमें पुन: हमारी उत्क्रांति की अधूरी यात्रा को पूर्ण करने हेतु श्री मुकुंद दादा को भेज दिया एक मार्गदर्शक, एक पिता, एक भाई स्वरूप... आदरणीय मुकुंद जी शेवरे हम सब श्री आदिशक्ति के बच्चे आपको आपके जन्मदिन पर बहुत बहुत बधाई देते हैं।
हम सब श्री माताजी से वादा करते हैं कि पूरे विश्व में सहजयोग फैलाएंगे और एक सुंदर, सुखद सतयुग की स्थापना के साक्षी होंगे।
नांदगांव सहजयोग परिवार, नाशिक

 - डाॅ. आरती सिंह 'एकता'
 नागपुर (महाराष्ट्र)
लेख 1763687537713158508
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