लघु कथाओं में गहरा चिंतन है : कविता रेवतकर
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नागपुर। भारतीय साहित्य का अनुशरण पूरा विश्व कर रहा है। इसका कारण हमारे साहित्यकार हैं। उनका अनुभव है, उनका मनन-चिंतन है। जो गहरे विचारों को साहित्य में उतार देते हैं।
आज की प्रस्तुत लघुकथाओं में गहरा चिंतन देखने को मिला उक्त विचार विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम साहित्यिकी के अंतर्गत लघु कथा सम्मेलन में प्रमुख अतिथि कविता रेवतकर ने व्यक्त किए। अध्यक्षीय संबोधन में साहित्यकारा इंदिरा किसलय ने कहा- लघुकथा विधा अत्यंत रोचक व प्रभावी विधा है।
अल्प अवधि, प्रेरकता, उत्कृष्ट शब्द चयन, उच्च विचार व संवेदनाओं से परिपूर्ण लघु कथाएँ होती हैं। जिनका शीर्षक ऊँची पहाड़ी पर स्थित मंदिर के सदृश होना चाहिए।
लघु कथा के विभिन्न स्वरूपों को संयोजक डॉ. विनोद नायक ने लघु कथाओं के उदाहरणों से प्रस्तुत किया। अतिथि स्वागत संयोजक प्रा. आदेश जैन ने किया। संयोजक डॉ. विनोद नायक ने संचालन किया।
लघु कथाकार अशोक सोनी, भारती रावल, सुरेंद्र हरडे, सोनल बिसेन, माधुरी राऊलकर, इंदिरा किसलय, विवेक असरानी, सुदीप्ता बैनर्जी, अशोक रावल, माया शर्मा, डॉ. कल्पना शर्मा, प्रा. आदेश जैन, कोयल बैनर्जी ने अपनी लघु कथाओं से प्रेरक संदेश दिया।