दादा संगतराम आर्य स्मृति वक्तृत्व स्पर्धा संपन्न
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नागपुर। दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय में महाविद्यालय के संस्थापक और संरक्षक दादा संगतराम आर्य की स्मृति में अंर्तमहाविद्यालय वक्तृत्व स्पर्धा का आयोजन 5 अप्रेल को किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ विशेष हवन द्वारा किया गया जिसमें 200 छात्राओं ने वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा दादा संगतराम जी आर्य को अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।
आर्य समाज के संरक्षक सुरेंद्र पाल, दयानंद आर्य प्राथमिक शाला की पूर्व मुख्याध्यापिका श्रीमति करुणा आर्य मुख्य अतिथि के रूप में, दादा संगतराम जी के पुत्र एवं महाविद्यालय के प्रभारी, आर्य विद्या सभा के पदाधिकारी, वेदप्रकाश आर्य ने विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। दयानंद आर्य कन्या विद्यालय की पूर्व प्राचार्या श्रीमती किचन केसवानी, महाविद्यालय की पूर्व प्राध्यापिका डॉ. शनिल दास और श्रीमती परिणीता हरकरे भी कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित रही।
दादा संगतराम जी आर्य विद्या सभा के पदाधिकारी, तीन आर्य विद्यालयों के प्रभारी तथा छात्रों को नैतिक शिक्षा देने वाले अभूतपूर्व व्यक्तित्व के स्वामी थे, उनकी सरलता और कर्त्तव्य निष्ठा अनुकरणीय रही, वे आर्य वीर दाल, आर्य कुमार सभा एवं कई सम्मेलनों में आर्य समाज नागपुर के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित रहे।
समाज के हित और कल्याण के लिए उन्होंने स्वयं अपने जीवन को यज्ञ बना दिया, आर्य समाज और दयानंद आर्य कन्या विद्यालय की स्थापना इसका उदाहरण है, उनका कार्य उनके कद को कई गुना महान बन देता है इसी परंपरा को उनके सुपुत्र श्री वेदप्रकाश जी आर्य ने सातत्यपूर्वक निष्ठा से आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने उदबोधन में चरित्र की दृढ़ता और अनुशासन को महत्व पूर्ण बताया और सभी प्रतियोगियों को प्रोत्साहित किया।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. श्रद्धा अनिलकुमार ने नवीन शिक्षा नीति के संदर्भ को भविष्य की आवश्यकता बताते हुए बहुत लाभदायक बताया उन्होंने दादा संगतराम की सरलता और स्नेहपूर्ण मार्गदर्शन का भी उल्लेख किया।
इस स्पर्धा में छात्राओं द्वारा बड़ी संख्या में सहभाग लिया। अन्तिम दौर के लिए 9 छात्राओं का चयन किया गया। जिन्होंने नवीन शिक्षा नीति पर अपने विचार रखे। प्रथम पुरस्कार खुशी तुरुक्माने, द्वितीय प्राची प्रजापति और तृतीय पुरुस्कार कु कोमल चौहान ने प्राप्त किया।
कार्यक्रम प्रभारी डॉ ऋतु तिवारी ने कार्यक्रम की रूपरेखा और धन्यवाद प्रस्तुत किया। कु वैशाली और खुशी तुरुक्माने ने कार्यक्रम का संचालन किया।
कार्यक्रम सफल बनाने हेतु सभी प्राध्यापिका तथा छात्राओं का भारी संख्या में योगदान रहा।