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मेरी माँ...


मेरी माँ सबसे प्यारी है
मेरी माँ सबसे न्यारी है
जब मैं माँ की गोद में आई
सब लोगो ने दी बधाई
घर आंगन में खुशिया छाई
जब माँ शब्द बोलना सीखा
मुझे देख खुश होती माँ
मुझको गले लगाती माँ
ऐसी है मेरी प्यारी माँ

हाथ पकड़कर चलना सिखाया
मुझको जीवन जीना सिखाया
मेरी प्रथम गुरु है माँ
जग में सबसे न्यारी है माँ
पड़ना लिखना मुझे सिखाया
सर्व गुण संपन्न बनाया
अच्छे बुरे का ज्ञान कराया
आत्म निर्भर बनना सिखाया

धीरे धीरे हुई सयानी
फिर भी करती थी मनमानी
माँ ने बोला यह सब छोड़
ले जीवन में एक मोड़
मेरी बिटिया हुई सयानी
छोड़ दे तू अपनी मनमानी
जीवन में कुछ करना है
सत्य की राह पर चलना है
तभी बनेगी मेरी बेटी महान
जग में होगा तेरा नाम
मुझसे बोली वचन मुझे दे
ज्ञान की ज्योति जलायेगी

खुद पढ़ लिख कर दुसरो को पढ़ाएगी
मैंने दिए वचन को निभाया
शिक्षिका बनकर कर्तव्य निभाया
मेरी यही था उनसे कहना
जो कहा है वही करुँगी
अध्यापिका बनकर नाम रोशन करुँगी
बनकर मैं आदर्श अध्यापिका
शिक्षित कर दू सारा जग
पुरे विश्व में नाम होगा माँ

तुम्हारा यही होगा मेरा जीवन उद्देश्य
जब-जब मैं याद करू
वो हमेशा मेरे साथ है
उनके बताये रास्ते एवं संस्कारो पर चलकर
घर में छाई खुशी अपार है
क्योकि मेरी माँ सबसे प्यारी है
मेरी माँ सबसे न्यारी है

- रेखा चतुर्वेदी
मसूरी (उत्तराखंड)
काव्य 8124719815480017312
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