नींद बहुत आती है...
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हाल ही में मेरी सखी सपरिवार गुजरात यात्रा से लौटी।उन्हीं के साथ संध्याकालीन भ्रमण करते हुए हम लोग पास के ही एक गार्डन में जा बैठे। भीषण गर्मी के पश्चात वर्षा की रिमझिम फुहारों ने मौसम बडा सुहाना बना दिया था, अतः हम दोनों यात्रा की सुहानी यादों में खो गये। उन्होंने गुजरात के पवित्र दिव्य दर्शनीय स्थलो सोमनाथ, द्वारका आदि की स्वच्छता,सौंदर्य के साथ साथ निःशुल्क भोजन व्यवस्था, तथा ग्रामीण अंचलो के लोगों के सहज,सरल जीवन,आतिथ्य सत्कार एवं अपने रिश्तेदारों से मिले स्नेह, व प्रेम की भी चर्चा की।
इन सब के साथ ही अपनी वापसी यात्रा की भी बातें की।लौटते समय उन्हे ए सी में रिजर्वेशन नहीं मिल पाया अतः सामान्य क्लास से आना पडा।इसकी कुछ असुविधाओं पर बात करते करते अचानक उनके मुंह से एक वाक्य निकला।
कहने लगीं 'आजकल लोगों नींद बहुत आती है। मैंने पूछा क्यों? कैसे?, किसआधार पर कह रही है?तो उन्होंने जो कुछ कहा सच में सब सुनकर तो होश ही उड़ गये। उन्होंने तो कहा था आजकल सबको नींद बहुत आती है पर सच कहू तो रात भर मुझे बिल्कुल नींद नहीं आई।
उन्होंने कहा आधी रात का समय था ।कंपार्टमेंट में सब सो गये थे।इसी बीच एक बच्ची की बहुत जोर जोर से रोने की आवाज आई।
उसकी दर्द भरी आवाज से मैं कांप गई। और उत्सुकता वश उसके रोने का कारण जानने के लिए जैसे ही मैंने अपने सिर से चद्दर हटाई, तो जो कुछ देखा, शर्मनाक था मुझे सब कुछ कहते लज्जा आ रही है,कैसे ,क्या कहू?, लगभग चौबीस, पच्चीस वर्ष के युवक द्वारा किए जा रहे दुष्कर्म से पीडित वह दस ग्यारह वर्ष की बच्ची जोर जोर से रोती जा रही थी और वह युवक तडातड़ उस मासूम बच्ची पर थप्पड़ें जड़ता जा रहा था।
बच्ची की आर्त पुकार करुण क्रंदन ने मुझे झकझोर दिया। अत्यंत, शर्मनाक दर्दनाक दृश्य मुझे पूरी तरह हिला गया, मैंने मेरे पति को हिलाकर कहा जरा देखिये तो,अरे नहीं सहा जा रहा यह सब कुछ, आप कंप्लेन कीजिए, उठिए, उठिए।
पर उन्होंने मुझे चुपचाप ओढ़कर सो जाने की सलाह दी कहा व्यर्थ ही झंझट में पड़ जाए॔गे, और खुद भी ओढ़ाकर चुपचाप पडे रहे।
पर क्या उस दिन कंपार्टमे सभी नींद में थे? सच में क्या किसी को भी बच्ची के रुदन ने जगाया नही होगा? या नींद का बहाना कर रहे थे? निश्चित ही सब बहाना ही कर रहे थे, एक बच्ची की इतनी दर्दनाक आवाज हो तो नींद कैसे आए? पर सोने का बहाना करने वालों को भला कौन जगा सका है?
वास्तव मे हम सब इसी बहाने वाली नींद मे ही सोए है,जागना ही नहीं चाहते। आज जो कुछ शर्मनाक समाज मे घट रहा है, आए दिन ऐसी शर्मनाक घटनाएं दिन ब दिन बढती जा रही है,सरे आम बच्चियो की अस्मिता लूटी जा रही है इसीलिए कि हम सोने का बहाना कर रहे है। हम जागना ही नही चाहते।
किन्तु उस घटना के वर्णन ने तो मेरी नींद उडाई,ताकि मै आप सबकी नींद उडा सकू। और फिर मेरी सखी की ही तरह कोई और न कह पाए आजकल सबको नींद बहुत आती है।
- प्रभा मेहता
नागपुर (महाराष्ट्र)