'प्रसन्नता ही औषधि है'
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नागपुर। नवोदित प्रतिभाओं को समर्पित, विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन का सदाबहार उपक्रम 'उभरते सितारे'। जिसके अंतर्गत 'प्रसन्नता ही औषधि है' विषय पर बच्चों के लिए स्वास्थ्य वर्धक, उद्देश्यपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जिसमें, अतिथि के रूप में आयुर्वेदाचार्य पंचकर्म तज्ञ डॉ श्रीया श्रीकांत नंदागवली उपस्थित थीं। इनका स्वागत सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। अपने संबोधन मे डॉक्टर श्रीया नंदागवली ने बताया कि, किस तरह सृष्टि के नियमों के अनुसार चलना चाहिए।
प्रकृति के नियमों के अनुसार ही दिनचर्या, ऋतुचर्या होनी चाहिए, जिस बायोलॉजिकल क्लॉक को आज लोग भूल चुके हैं। ब्रह्म मुहूर्त में उठना तथा, प्रसन्नता के लिए मानसिक भाव - शारीरिक भाव समांतर होनी चाहिए और सामाजिक स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है।
कफ पित्त वात से उत्पन्न दोष ज्यादा बढ़ने से बीमारियां बढ़ती है। जो पंचकर्म चिकित्सा से दूर किया जा सकता है। जिसमें पथ्य का भी महत्व उन्होंने समझाया।
विश्व संगठन डब्ल्यूएचओ ने भी मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को महत्त्व दिया है। स्वस्थ जीवन शैली के लिए सही ढंग से खानपान भी जरूरी है। तथा, प्रसन्नता के लिए एक दूसरे से बंधुभाव रखकर केयर एंड शेयर के महत्व को उन्होंने समझाया।
कार्यक्रम में 'प्रसन्नता ही औषधि है' विषय पर सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने शुरुआत में प्रस्तावना रखीं। जिसमें उन्होंने प्रसन्नता के शाब्दिक अर्थ की व्याख्या की।
तत्पश्चात, बच्चों ने अपनी कला की सुंदर प्रस्तुतियों से मन मोह लिया। जिसमें, संपूर्णा रेमंडल, अरण्या बाला, त्रिशिका वाघमारे, तेजस्वी बनपेला, शनाया गडीकर, लीला पवार, मीनाक्षी केसरवानी, नंदिनी सुदामल्ला, कृष्णा कपूर, विलास मोहरकर, ओमप्रकाश कहाटे आदि ने प्रस्तुति दी।
बच्चों की कलात्मक सृजनता को अजय उत्तरवार, श्रीकांत नंदागवली, मोनिका विकास रेमंडल, रंजीता वाघमारे, अंजू बनपेला, वनमाला गडीकर, उन्नति हरीश वाडेकर, दिनेश कुमार पिल्लई, मंजू बाला, बाबा खान, आनंद डोंगरे आदि ने बहुत सराहा।
कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का संचालन सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। ध्वनि प्रक्षेपण गुणवंता शेळके ने संभाली। तथा, सभी उपस्थित सुधिजनों, कलाकारों और दर्शकों का आभार संयोजक युवराज कुमार ने व्यक्त किया।