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महिला असशक्त हो ही नहीं सकती : डॉ. जय भारती चंद्राकर



नागपुर/पुणे। नारी की पूजा हमारे शास्त्रों का विधान रहा है। जब-जब इस संसार में विद्या की आवश्यकता हुई, हमने माँ सरस्वती की पूजा की है। धन के लिए माता लक्ष्मी तथा शक्ति और साधना के लिए माँ काली और माँ दुर्गा की उपासना आदि काल से करते आ रहे हैं। अतः महिला असशक्त हो ही नहीं सकती। 

इस आशय का प्रतिपादन डॉ जय भारती चंद्राकर सहायक प्राध्यापिका, एनसीईआरटी, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने किया। 'वर्तमान में महिला सशक्त है या असशक्त ?' विषय पर विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी (148 - 19वीं) (बुधवार, 15 मार्च, 2023) में मुख्य वक्ता के रूप में वे अपना उद्बोधन दे रही थीं। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। डॉ चंद्राकर ने आगे कहा कि स्त्री हमेशा से ही सशक्त रही है। प्रकृति ने नारी को पुरुषों से बेहतर बनाया है। इसलिए सहनशक्ति की वह प्रतिमूर्ति मानी जाती है। स्त्री के बिना संसार की कल्पना ही असंभव है। 

पुरातन काल में भी स्त्री हमेशा से सशक्त रही है। माता कौशल्या, माता सीता, राधा, रुकमणि और द्रौपदी  जैसे अनेक नाम हैं। उसी तरह से रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी पद्मावती, अहिल्याबाई जैसे इतिहास में कई नाम हैं, जिन्होंने इतिहास रचा है। 

मध्यकालीन युग में मात्र नारी की  स्थिति कमजोर हुई थी। वर्तमान में परंपरागत मानदंड तेजी से बदल रहे हैं । आज की महिला अपने मूल अधिकारों को जानने लगी है। भारत की महिलाएँ राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। उन्हें अपने अस्तित्व का बोध है। 

श्रीमती सुवर्णा  अशोक जाधव, पुणे, महाराष्ट्र ने  अपने उद्बोधन में कहा कि महिला आज ना सशक्त है ना पूरी तरह असशक्त है। बल्कि वह सशक्त होने की राह पर है। प्रशासन की ओर से ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के साथ उन्हें आरक्षण भी दिया गया है, पर स्वतंत्रता के माने स्वैराचार नहीं। 

डॉ जया सिंह, विभागाध्यक्ष, कला एवं मानविकी विभाग, दि आईसीएफएआई विश्वविद्यालय, कुम्हारी, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने अपनी अभिव्यक्ति में कहा कि नारी सदैव से ही गुणों की आगार रही है। नारी प्रकृति के रूप में स्वीकारी गई और पुरुष की पूरक बन गई। पुरुष को पूर्ण कर देने वाली नारी मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभर कर आई। धर्म, संस्कृति, सारे वेद-पुराण सभी नारी के सम्मान की शिक्षा और संदेश देते हैं। 

पर आधुनिक समाज पाश्चात्य संस्कृति से इतना घिर चुका है कि महिलाओं के साथ मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने की कुरीतियों को आज भी स्थापित किए हुए हैं। जहां घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न जैसी कई यातनाएं दी जा रही है। डॉ सुरेखा प्रेमचंद मंत्री, यवतमाल, महाराष्ट्र ने कहा कि भारत की महिलाएं सदा से सशक्त रही हैं। वह पुरुष वर्ग के साथ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है, पर पुरुष वर्ग की मानसिकता महिला वर्ग को दबाने का प्रयास भी कर रही है 

डॉ जयप्रकाश तिवारी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ने कहा कि शक्ति हीनता ही अशक्त होना है तथा शक्तिशाली होना ही सशक्त होना है। शक्ति का अर्थ स्वावलंबन, गति, प्रगति और विकास भी है। शक्ति का अर्थ झुकना भी है और झुकाना भी है। सुख-शांति तब है, जब परिवार संयुक्त हो, समृद्ध हो। सामंजस्य और समन्वय से बड़ा कुछ भी नहीं|  पुरुष और महिला जीवन-रथ के दो पहिए हैं। दोनों का भी संपूर्ण विकास परम आवश्यक है। 

राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, अध्यक्ष, विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,पुणे, महाराष्ट्र ने अध्यक्षीय समापन में कहा कि वर्तमान में निसंदेह रूप से हर महिला किसी न किसी क्षेत्र में प्रगति साधने में सफल हो रही है|  ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा, जहां महिला ने अपनी उपस्थिति दर्ज न की हो। परंतु यही महिला दूसरी तरफ परिवर्तन और प्रतिबंधों के अंतर्द्वंद में जूझ रही है। 

पिछले दो दशकों में महिलाओं के संदर्भ में विभिन्न कार्य क्षेत्रों में सक्रियता और आत्मनिर्भरता में 67% की वृद्धि हुई है। यह अत्यंत सुखद है, तो दूसरी ओर वह अन्याय, अत्याचार, प्रताड़ना, यौन हिंसा, छेड़छाड़, भेदभाव तथा जघन्य अपराधों की वह  शिकार हो रही है। यह बड़ी चिंता  का विषय है। भारतीय नारी तो आज भी विश्व में आदर्श मानी जाती है, क्योंकि नारी का विकास अर्थात समाज व राष्ट्र का विकास है। नारी त्याग व तपस्या की मूर्ति है। 

संस्थान के सचिव डॉ गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश  ने आरंभ में संस्थान की विभिन्न गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए गोष्ठी की प्रस्तावना की। डॉक्टर संगीता पाल, कच्छ, गुजरात ने सरस्वती वंदना की तथा युवा सांसद के प्रभारी श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव, ‘मनलाभ’, शक्ति, छत्तीसगढ़ ने  स्वागत भाषण व आभार ज्ञापन किया। 

इस गोष्ठी का सफल व सुंदर संयोजन, नियंत्रण तथा उत्तम संचालन का दायित्व ग्रेसियस कॉलेज, अभनपुर, रायपुर, छत्तीसगढ़  की प्राध्यापिका व शोध निर्देशक डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक,संस्थान की छतीसगढ़ प्रभारी व हिंदी सांसद, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने अत्यंत सफलतापूर्वक निभाया। 

गोष्ठी में डॉ भरत शेणकर, प्रा. रोहिणी डावरे, अकोले, महाराष्ट्र, डॉ, नजमा बानू मलेक नवसारी, प्रा मधु भंभाणी, नागपुर, डॉ, शोभना जैन, गुजरात, श्री जयवीर सिंह, पुणे, श्री रतिराम गढ़ेवाल, डॉक्टर वंदना चराटे इंदौर सहित अनेक गणमान्यों की गरिमामय उपस्थिति रही।
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