मनुष्य की जीवंतता का प्रमाण है रचनात्मकता - डॉ. इटनकर
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नागपुर। रचनात्मकता मनुष्य की जीवंतता का प्रमाण होती है। मनुष्य स्वभाव से एक रचनात्मक प्राणी है। उसके प्रत्येक कार्य में सृजन का भाव जुड़ा हुआ है। उसकी रचनात्मक वृत्ति ही उसे क्रियाशील बनाती है।
यह बात हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित रचनात्मक लेखन कार्यशाला के समापन सत्र के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश इटनकर, सह अधिष्ठाता, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय ने कही। उन्होंने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में रचनात्मकता की आवश्यकता है। दुनिया में जितनी भी उपलब्धियां मानव समाज ने अर्जित की हैं, वह सब उसकी रचनात्मक क्षमता का फल है।
प्रमुख अतिथि दैनिक भास्कर के नगर संपादक सुनील हजारी ने अपने उद्बोधन में रचनात्मक प्रतिभा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता उन्हें ही मिलती है जिनमें कुछ नया, कुछ अनूठा करने का हुनर होता है। रचनात्मक वृत्ति हमारी अभिव्यक्ति को, हमारी कलम की ताकत को शक्ति प्रदान करती है। हम लेखन कला में निपुणता प्राप्त कर जीवन के किसी भी क्षेत्र में सार्थक भूमिका निभा सकते हैं।
स्वागत उद्बोधन देते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कार्यशाला की उपादेयता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रश्नाकूलता ही हमारी जागरूकता की पहचान है। और जागरूकता ही हमें रचनात्मक बनाती है। किसी भी प्रगत समाज का निर्माण उसकी रचनात्मकता का प्रतिफल है। डाक्यूमेंट्री और रिपोर्ट लेखन पर प्रकाश डालते हुए मीडिया विशेषज्ञ दिव्येश द्विवेदी ने प्रतिभागियों को तकनीक और विचार के सम्यक् प्रयोग के गुर बताए। पत्र लेखन और पत्राचार कला पर हिन्दी अधिकारी तेजवीर सिंह ने प्रशिक्षण दिया।
संचालन प्रा. जागृति सिंह ने तथा आभार प्रदर्शन डॉ. संतोष गिरहे ने किया। इस अवसर पर राजभाषा निदेशक अनिल त्रिपाठी, डॉ. संजय पल्वेकर, डॉ. कुंजन लाल लिल्हारे, डॉ. एकादशी जैतवार, डॉ. नीलम वैरागडे, डॉ. डबली, मुख्तार अहमद सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यशाला में हिन्दी विभाग के साथ जी. एस. कालेज, दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय, श्री बिंझानी महाविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय के कुल १०६ प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।