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गणेश पुंडे हुये साहित्य वाचस्पती कीं मानद डॉक्टरेट उपाधी से सम्मानित



नागपुर।इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान तथा वीर अकादमी बालाघाट मध्यप्रदेश द्वारा लातूर महाराष्ट्र निवासी गणेश तुकाराम पुंडे को साहित्य वाचस्पति डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।

इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान तथा वीर अकादमी बालाघाट मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में पुण्य सलिला वैनगंगा के तट पर बसा बालाघाट चर्चित नगर में जहाँ राष्ट्रीय साहित्य एवं पुरातत्व का 21वाँ अनोखा महाभव्य अनुष्ठान सहयोगात्मक रुप से सादगी पूर्वक आयोजित हुआ। उक्त अवसर पर 19 राज्यों से प्रतिष्ठित पुरातत्व विद्, इतिहास विद्, साहित्य विद्, समाज शास्त्री, अधिकारियों का आगमन विश्व की जानी-मानी हस्तियों का भव्यता के साथ हुआ।

मूल रूप से महाराष्ट्र के लातूर जिले के धनेगांव के एक छोटे से गांव के रहने वाले इस युवक ने कई मुश्किलों का सामना कर साहित्य की दुनिया में अपना नाम बनाया है.. गणेश पुंडे ने कठिन जीवन से पढ़ाई की.अपनी एक अलग छाप छोड़ सफलता हासिल की है. काम करते हुए सामाजिक, साहित्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों में अपने नाम की।  
जीवन की इस दौड़ में बिना असफलता के दौड़ रहे गणेश पुंडे के कार्य को विभिन्न संस्थाओं ने नोटिस किया है। उन्हें विभिन्न राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 

विश्वरत्न डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर सम्मान, राष्ट्रीय गौरव रत्न पुरस्कार, राष्ट्रीय पद्म गौरव पुरस्कार, राष्ट्रीय साहित्य भूषण पुरस्कार, भारतीय चिह्न पुरस्कार, साहित्य रत्न पुरस्कार, साहित्य सेवा गणेश पुंडे, से सम्मानित साहित्य साधना पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय छांदोगमात्य पुरस्कार, सुजान भारत पुरस्कार जैसे कई पुरस्कारों ने अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में लगातार तीन बार भाग लिया है। 

विभिन्न चैनलों रेडियो ने उनकी कविता पर ध्यान दिया है। उनकी कविताएँ और लेख विभिन्न वर्तमान पत्र-पत्रिकाओं और प्रतिनिधि काव्य-संग्रहों में प्रकाशित हुए हैं।भारतीय डाक विभाग ने उनके नाम पर डाक टिकट जारी कर उन्हें एक अनूठा सम्मान दिया है। विश्व संसद ने गणेश पुंडे को विश्व संसद की सदस्यता प्रदान की है।

इस कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि डाॅ.चंद्रकला सिंह फिल्म अभिनेत्री, गायिका, मुंबई, रमेश रंगलानी की अध्यक्षता, भारती ठाकुर बालाघाट, 'चित्रकार' नन्द सिंह पँवार कोटा, डाॅ. रमेश कटारिया ग्वालियर, डाॅ. ओमप्रकाश हयारण 'दर्द' झांसी, डाॅ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार, डाॅ.कविता गहरवार, डाॅ. प्रेमप्रकाश त्रिपाठी विशिष्ट अतिथि थे। 

माँ सरस्वती का विधिवत पूजन, सरस्वती वंदना, स्वागत गीत पश्चात वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया गया, जिसकी प्रधान सम्पादिका डाॅ. कविता गहरवार थी तथा अन्य पत्र-पत्रिकाओं का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। 

पुरातत्व एवं साहित्य संगोष्ठी विषय में वर्तमान परिदृश्य में अखिल भारतीय साहित्य का महत्व और भविष्य? पर डाॅ. अरविन्द श्रीवास्तव दतिया, गणेश पुंडे लातूर, श्रीमती सुनीता दहिभाते पूना, प्रदीप सिंह गहलोत उमरिया आदि विषय विशेषज्ञों ने विस्तृत जानकारी दी। मंच संचालन सुश्री सुषमा नाविक ने किया।

विराट अभिनन्दन समारोह में वाचस्पति की मानद उपाधि, विद्या सागर की मानद उपाधि, राष्ट्रीय शिक्षा विद्श्री, राष्ट्रीय साहित्य शिखर विद्श्री,  राष्ट्रीय साहित्य शिरोमणि विद्श्री, राष्ट्रीय विशिष्ट पुरोधा विद्श्री, राष्ट्रीय सांस्कृतिक विद्श्री, राष्ट्रीय स्वाभिमान विद्श्री, राष्ट्रीय पुरातत्व विद्श्री, राष्ट्रीय राष्ट्रभाषा स्वाभिमान विद्श्री, राष्ट्रीय स्वर्णिम रत्न विद्श्री, राष्ट्रीय प्रतिभा विद्श्री, 

राष्ट्रीय ध्रुव प्रकाश विद्श्री, राष्ट्रीय सारस्वत विद्श्री, राष्ट्रीय दिव्य ज्योति विद्श्री, राष्ट्रीय पारसमणि विद्श्री, राष्ट्रीय कर्मयोगी विद्श्री, राष्ट्रीय लक्ष्याधिपति विद्श्री, राष्ट्रीय राष्ट्रभाषा जागृति विद्श्री, राष्ट्रीय शब्द शिल्पी विद्श्री, राष्ट्रीय ऊर्जा विद्श्री, राष्ट्रीय पत्रकार विद्श्री आदि 19 राज्यों से पधारे 251 प्रतिष्ठित विद्वानों का पोशाक (गाऊन), शाल-श्रीफल, अभिनन्दन पत्र,  प्रतीक चिन्हों से स्व. अमीचंद अग्रवाल स्मृति में दिया गया।

मसाहित्य वाचस्पति डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित श्रीयुत गणेश पुंडे का हार्दिक अभिनंदन करते हुये उनके कार्य कि सराहना कि जा रही हैं।
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