सुर धाकड़े गुरुजी की आत्मा थे : मेश्राम
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नागपुर। सुर गुरुजी की आत्मा थे। उनको याद करना माने सप्तसूरों को याद करना। भले मुझे सुरों का ज्ञान नहीं था पर उनसे सुनना सुकून भरा रहता था। आकाशवाणी में हमने साथ काम किया। वे हमेशा नई रचनाएं और नया संगीत अपने श्रोताओं तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत रहते थे।
कलाकार कभी जाते नहीं, वे कला और सुरों के माध्यम से हमेशा जीवित रहेंगे। उक्त विचार, प्रमुख अतिथि आकाशवाणी की पूर्व डायरेक्टर सुश्री केशर मेश्राम ने व्यक्त किए। मौका था प्रख्यात संगीतकार और वायलिन वादक सूरमणी पंडित प्रभाकर धाकड़े गुरुजी को संगीतमय श्रद्धांजलि अर्पित करने का।
देश विदेश से उनके शिष्यों की ओर से तथा भास्कर संगीत महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 11 मार्च की शाम ५ बजे से सिविल लाइन्स स्थित वसंतराव देशपांडे सभागृह में 'भावसूमनांजलि' गीत संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात पंडित धाकड़े गुरुजी के पोते मास्टर शास्त्रण धाकडे के वायलिन से हुई।
इस अवसर पर अतिथि ऍडव्होकेट प्रशांत सत्यनाथन ने कहा कि हम गुरुजी के साथ कलाकारों को लेकर कार्यक्रम स्थल पर जाया करते थे। पहले देर रात तक कार्यक्रम चलते थे। कई बार तो कार्यक्रम संपन्न होने के बाद महफिल सज जाया करती थीं। गुरुजी से बेहद प्रेम था। उनका प्यार और यादें सदैव ज़िंदा रहेंगे ।
साथ ही अतिथि वनरायी के अध्यक्ष गिरीश गांधी ने कहा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको भुला पाना मुश्किल होता है। पंडित धाकड़े गुरुजी उनमें से एक हैं। शहर के संगीत क्षेत्र को उन्होंने नए आयाम। दिए। उन्होंने ताउम्र शिष्यों को संगीत का खजाना बांटा।
नतीजा, आज उनके शिष्य संगीत को ज़िंदा रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इस वक्त गायक सुरेश वाडकर, गायिका कविता कृष्णमूर्ति और उत्तरा केडकर ने वीडियो संदेश भेजे। शिष्यों ने शास्त्रीय संगीत के साथ ही गुरुजी द्वारा अलग अलग भाषाओ में संगीतबद्ध किए गए मराठी भावगीत, सिंधी गीत, पंजाबी गीत, गझल, भजन, भीम गीतों की प्रस्तुतियां दीं।
शिष्यों में तुषार बागड़े, श्रीयांश, अथर्व, दिनेश निंबालकर, रसिका करमलेकर, आशीष दास, अहिंसा तिरपुडे, छाया वानखेड़े, आकांक्षा नगरकर, हेमलता पोपटकर, पराग काळीकर, सिद्धांत इंगळे, रिदा शेख, नीतू केवलरामानी, निषाद, श्रेया, प्रीति गजभिये , दीप्ति, मधुबाला, मिलिंद जिभे,
राहुल भोसले , मोनिका आदि ने अपनी गायकी से दर्शकों को मुग्ध कर दिया। कीबोर्ड पर भूपेश सवाई , तबले पर प्रमोद बावने, ढोलक पर समीर पोपटकर, बांसुरी पर रविन्द्र खंडारे, हारमोनियम पर संदीप गुरमुले, गिटार पर प्रशांत पोपटकर ने साथ दिया।
संचालन डॉ अहिंसा तिरपुडे और आभार प्रदर्शन अर्चना राठौड़ ने किया। इस अवसर पर परिवार से पं. धाकड़े गुरुजी की पत्नी श्रीमती उर्मिला धाकडे, प्रीति, कौशिक, विशाल सहित परिजन, स्नेही और दर्शक बड़ी तादाद में उपस्थित थे।