लोहिया के विचारों के प्रति प्रतिबद्ध थे हरीश अड्यालकर : केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी


‘हरीश अड्यालकर स्मृति विशेषांक’ का लोकार्पण

नागपुर। डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों के प्रति प्रामाणिक रूप से प्रतिबद्ध एकमात्र व्यक्ति थे हरीश अड्यालकर। उन्होंने परिस्थितियां और पार्टी बदलने तथा सब कुछ खत्म होने के बाद भी लोहिया जीके प्रति अपनी ईमानदारी को जिंदा रखा। लोहिया अध्ययन केंद्र की जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई, जिससे देश में बड़े पैमाने पर परिवर्तन देखने को मिला। यह बात केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कही।

लोहिया अध्ययन केंद्र की ओर से केंद्र के संस्थापक महासचिव हरीश अड्यालकर की स्मृति में प्रकाशित ‘हरीश अड्यालकर स्मृति विशेषांक’ का लोकार्पण रविवार को प्रेस क्लब में नितीन गडकरी के हाथों हुआ। इस अवसर पर वे बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजवादी चिंतक- गांधीवादी विचारक रघु ठाकुर ने की। विशेष अतिथि हिंदू मजदूर किसान पंचायत के महामंत्री सुभाष म्हालगी थे। कार्यक्रम में वनराई के अध्यक्ष गिरीश गांधी, लोहिया अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष असित सिन्हा एवंं पूर्व अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल प्रमुखता से उपस्थित थे। 

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि लोहिया जी के विचारों पर चलने वाले अड्यालकर के मन में गरीबों के प्रति काफी संवेदना थी। गडकरी ने स्वयं को जॉर्ज फर्नांडिस से काफी हद तक प्रभावित बताते हुए कहा कि उनसे बहुत कुछ सीखा है। 

जार्ज को रक्षा मंत्री होने का कोई घमंड नहीं था। उन्होंने कहा कि एक बार संसद में हाथ रिक्शा वालों पर बिलपेश किया तो मुलायम सिंह भावुक हो उठे और कहा कि सही मायने में लोहिया जी को श्रद्धांजलि दी है, क्योंकि वे हाथ रिक्शा में बैठनाकभी पसंद नहीं करते थे। उनका मानना था कि ये मानवीय शोषण का प्रतीक है।

अध्यक्षीय वक्तव्य में रघु ठाकुर ने कहा कि हरीश जी की यादोंपर प्रकाश डालना कठिन काम है। हरीश भाई मराठी भाषी थे, लेकिन उनका हिंदी भाषा केप्रति अटूट प्रेम था। कई बार मराठी भाषी लोगों की गुस्ताखी का वे शिकार भी हुए। देश में एक भाषा होनी चाहिए इस सोच ने उनको सभी के दिलों में जिंदा रखा। ऐसे समर्पित व्यक्ति ने लोहिया अध्यययन केंद्र की स्थापना की और आखिरी क्षण तकइसे आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया। 

हिंदू मजदूर किसान पंचायत के महामंत्री सुभाष म्हालगी ने कहा कि जॉर्ज फर्नांडिस के जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष रेलवेमजदूरों की हड़ताल का था। तब हमने सोचा कि रेल मजदूरों के आंदोलन केलिए ऐसे मजबूत नेता को नहीं लाया गया तो आंदोलन कभी सफल नहीं हो पाएगा। 

उनके एक इशारे पर सब बंद हो जाता था। ऐसे व्यक्ति को रेल मजदूरों का नेतृत्व सौंपने का हमारा विचार था जिसका काफी विरोध झेलना पड़ा, लेकिन उस समय कुछेक लोगों का सहयोग मिला जिसमें हरीश जी का भी नाम हैं। इसके बाद रेल हड़ताल का सपना साकार हुआ। 

प्रास्ताविक गिरीश गांधी ने किया। लोहिया अध्ययन केंद्र की पत्रिका ‘सामान्यजन संदेश’ के संपादक डा. ओमप्रकाश मिश्रा ने ‘हरीश अड्यालकर स्मृति विशेषांक’ पर प्रकाश डाला। संचालन टीकाराम साहू ‘आजाद’ ने किया। आभार असित सिन्हा ने माना। 

कार्यक्रम में किसन शर्मा, विजय जावंधिया, विश्वास इंदुरकर, डा. गोविंद उपाध्याय, विनोद चतुर्वेदी, बाबा समर्थ, एस एन बुटोलिया, दया बुटोलिया, मनोहर गौर, महेंद्र कटारिया, नरेंद्र परिहार, मनोज अग्रवाल, नवनीत डागा, संदीप तुंडुरवार, कृष्ण नागपाल, नीरज श्रीवास्तव, प्रकाश काशिव, नरेश निमजे, सफलतार्थ केंद्र के उपाध्यक्ष न्या. संजय बुरडकर, महासचिव सुनील पाटील, कोषाध्यक्ष संजय सहस्त्रबुद्धे, संतोषकुमार दुबे, वंदना सोलंकी, प्रा. अनूप सिंह, ब्रजभूषण शुक्ला, अजय पांडे, आदि ने प्रयास किया।
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