शताब्दी वर्ष पर संतरानगरी होगी दीपक प्रकाश से प्रज्वलित
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श्रीराम जन्म महोत्सव शोभायात्रा के सफलतम 57 वर्ष का श्रेय श्रीरामसेवकों को ही है : श्रीरामकृष्ण पोद्यार
नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर के मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीरामकृष्ण पोद्यार का मानना है कि मंदिर में शताब्दी महोत्सव के विशेष आयोजन के साथ वर्तमान वर्ष में 57वीं शोभायात्रा की तैयारियां बड़े ही उत्साह के साथ प्रारम्भ हो चुकी है. 4 मार्च 2023 को मंदिर स्थापना को 100 वर्ष पूर्ण हो रहे है. उन्होंने बताया कि 29 जनवरी से 2 फरवरी तक पंचदिवसीय हवनात्मक श्रीरुद्रमहायज्ञ संपन्न हो चूका है.
श्रीपोद्यरेश्वर विविध आयोजनों में नगर में पहली बार दक्षिण भारत के तिरूपति बालाजी के बिना बिजली के दर्शन दीपक प्रकाश से होते है. शताब्दी स्थापना दिवस पर बुधवार की संध्या हजारों दीपक की जगमगाहट यादगार क्षण रहेंगे.
उसी तरह के दर्शन की व्यवस्था शनिवार 4 मार्च की शाम 31 हजार दीपक प्रज्वलित कर की जाएगी। जिसका श्रद्धालु संध्या 6.30 से रात्रि 9.30 तक दर्शन लाभ ले सकेंगे.
4 मार्च को शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में मंदिर भवन के समक्ष और रामझूले पर श्रीरामभक्तों के संयुक्त प्रयास से 31 हज़ार मिटटी के दीपक से दीपोत्सव मनाया जाएगा.
इस अवसर पर मंदिर प्रांगण में दिनभर विष्णु सहस्त्रनाम, अभिषेक, पूजा, अर्चना, बधाई गीत का भी आयोजन किया गया है.
साथ ही नगर में प्रत्येक रविवार को 30 मार्च गुरुवार को मनाई जानेवाली श्री राम जन्मोत्सव की तैयारियों की सभाएं भी ली जा रही है .शोभायात्रा के 57 वें वर्ष पर करीब 100 झांकियां निकाली जायेगी. इस वर्ष भी शोभायात्रा का समय शाम 4 बजे रखा गया है.
मंदिर भक्तों के दर्शनार्थ सुबह 6 बजे से 11.30 तक और दोपहर 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक खुला रहेगा. पूर्व वर्षों की तरह इस वर्ष भी श्रीराम सेवक दल हज़ारों की संख्या में सेवा देकर पुण्य लाभ लेंगे.
उन्होंने मंदिर के एक सौ वर्ष की प्रमुख जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर में पंच आरती,मुख्य उत्सव के आयोजन वर्षभर होते है. साथ ही अन्य सामाजिक, सांस्कृतिक आयोजन, श्रीरामनाम संकीर्तन, धर्मार्थ दवाखाना, श्रीराम जानकी विवाह उत्सव भी मनाया जाता है.
मंदिर के विभिन्न ज्ञानसत्रो में विगत वर्षों में जगद्गुरु श्रीशंकराचार्यजी महाराज, करपात्रीजी महाराज, रामचंद्र डोंगरे महाराज, स्वामी रामसुखदासजी महाराज, पंडित रामकिंकरजी महाराज, विजयशंकरजी मेहता सहित अनेक संतों का आगमन हो चुका है.
मंदिर की विशेषताओं में 60 फुट ऊँचा संगमर्मर शिखर, पीतल, लकड़ी से बना मंदिर महाद्वार, अष्टकोणी सभामंडप और शिल्पकारी की प्रमुख जानकारी भी श्रीपोद्यार ने दी. प्रभु श्रीराम की वंशावली की बेल की प्रमुख जानकारी उन्होंने दी.