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विश्व लघु कथा कोष में नागपुर महाराष्ट्र से रति चौबै चयनित



नागपुर। विश्व लघु कथा कोष में महाराष्ट्र से जिन चयनित लघु कथाओं का बंगला भाषा में अनुवाद 'बेबी कारफार्मा' ने किया उसमें नागपुर महाराष्ट्र की लघु कथाकार श्रीमती रति चौबे की दो कथाओं
का चयन किया गया। जिनका शीर्षक 'औकात' और 'अहसास' है। उन्हें देश विदेश के दिग्गज लघु कथाकारों के साथ सम्मिलित किया गया जो गौरव का विषय है। साथ ही रुबी दास की 'हुबहू', निर्मला
पांडे की 'सद्गति' और अर्शिया गहलोत की साहित्य कक्षा को भी चयनित कर बंगला में अनुवादित किया गया।

आज कल लघु कथाएं लिखना लेखक भूलते से जा रहे हैं और विशेषकर बंगलादेश में तो साहित्य की इस विधा से कोई भी परिचित नहीं हैं, पर इस बार 'लघुकथा' की इस विधा की सुंगध की लहर लेखिका, कवयित्री, अनुवादिका 'बेबी कारफार्मा' ने ही भारत वर्ष के नामचीन लघु कथाकारों के साथ विश्व के लघु कथाकारों को भी अपने 'लघुकथा विश्वकोश' में समेटा है जो प्रशंसनीय कार्य है। बंगला पाठकों ने पहली बार लघुकथा को जाना, यह बंगला साहित्य में एक क्रांतिकारी कदम है।

कलकत्ता निवासिनी सौ 'बेबी कारफार्मा' आज बंगला कथाकारों की एक प्रेरणास्रोत बन गई
है सदैव के लिए। इस विश्वकोश में लगभग 500 हिंदी लघु कथाओं का, बंगला भाषा में दो वर्ष तक कठिन परिश्रम एवं अनुवाद कर यह विश्वकोश संग्रह की पुस्तक निकाली जो आज बंगला देश में चर्चा का विषय है। 

मारिशस, कैलिफोर्निया, लंदन, यूएस, बोस्टन, कनाड़ा और शिकागो के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, आसाम उड़ीसा, केरला, राजस्थान, मद्रास, उत्तराखंड, कर्नाटक, हरियाणा छत्तीसगढ़ आदि अनेक स्थानों के लघु-कथाकारोंं की लघुकथा
को संग्रहित किया गया।

बेबी कारफार्मा एक प्रतिभाशाली, उत्साही
महिला है, लेखन ही इन का जीवन ध्येय है। तीन
पुस्तकें राजा राममोहन राम, ईश्वरचंद्र - विद्यासागर , कांजी अजरूल इस्लाम की बायोग्राफी लिखी और दलित लेखिका रजत- रानी मीनू की कहानी का भी बंगला अनुवाद किया उनके आग्रह पर बेबी ने, निश्चल ह्दया है एक जुनून, तड़प, लगन, इसमें है जो आगे तक ले जावेगा इनको, मुझे कहां कि आप मेरी इस सफलता को हिंदी भाषा में लिखे। बिना देखे, जाने उनको वर्णित करने में मैं कहां तक सफल हुई हूं कह नहीं सकती पर फिर भी उनकी क्रियाशीलता ने मुझे दिखाया और बेबी कारफार्मा के लगते यही कहूंगी - आशाएं, अक्षांज्ञायें, तमन्नाएं - बिखरा दो मुक्त साहित्य-गगन में, तब ही जानोगी तुम, लेखनी की शक्ति, तुम्हारी लगन का 'अलाव' तुम्हें तपाकर- निखरा देगा।
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