महाराष्ट्र सिंधी समाज संघठन ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
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नागपुर। महाराष्ट्र सिंधी समाज संघठन की महाराष्ट्र महिला टीम द्वारा बुधवार 8 मार्च को जरीपटका में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया। अध्यक्ष डॉ भाग्यश्री खेमचंदानी और महासचिव सुनीता जेसवानी ने बताया कि समारोह की अध्यक्षता सिंधी समाज की सफल महिला समाजसेवा में अग्रणी श्रीमती राखी विक्की कुकरेजा ने की।
उपाध्यक्ष ईश्वरी डेंबला, मंजू कुंगवानी ,पूजा मोरयानी, सुधा जेसवानी ने बताया कि सर्वप्रथम भगवान श्री झूलेलाल भगवान को माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन श्रीमती राखी विक्की कुकरेजा ने कर समारोह की शुरुवात की, तत्पश्चात श्रीमती राखी कुकरेजा का शाल श्रीफल बुके देकर सत्कार किया गया।
कार्यक्रम की शुरुवात में अध्यक्ष डॉ भाग्यश्री खेमचंदानी ने सभी को महिला दिवस की बधाई देकर कहा कि महाराष्ट्र सिंधी समाज संघठन की महिला टीम संघठन के फाउंडर विक्की कुकरेजा को फाउंडर महेश साधवानी, अध्यक्ष प्रताप मोटवानी के मार्गदर्शन में नागपुर में सिंधी समाज के लिए सभी प्रकार के आयोजन कर सिंधी महिलाओ को एकजुट करेगा।
अभी उनकी टीम में 300 सदस्य जुड़ चुके है वह नागपुर में 5000 सिंधी महिलाओं को जोड़ कर समाज के हित में कार्य करेंगे। उन्होंने बताया कि हर साल हर साल 8 मार्च को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह एक ऐसा दिन है जब हर कोई महिलाओं के प्रति प्रशंसा, प्यार और सम्मान दिखाता है।
नारी को कहा जाता है ईश्वर की सुंदर रचना ! यह सच है कि सभी महापुरुषों का जन्म स्त्री के गर्भ से हुआ है और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक महिला से ली है।भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।
महासचिव सुनीता जेसवानी ने कहा कि नारी का सारा जीवन पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने से बीत जाता है पहिले पिता की छत्रछाया में बचपन बीतता है पिता के घर में काम काज के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखनी होती है उसका यह क्रम विवाह तक जारी रहता है।
अपनी पूरी जिंदगी में वह सभी जिम्मेदारी का निर्वाहन कुशलता से करती है अतः महिलाए इस तरह से सम्मानीय है, उपाध्यक्ष ईश्वरी डेंबला, मंजू कुंगवानी, पूजा मोरयानी और सुधा जेसवानी ने भी महिला दिवस की बधाई देते हुए महिलाओ के आत्मनिर्भर होने के बारे में बताया, आज देश की राष्ट्रपति महिला है जो कि गौरव की बात है महिलाए आज पुरुषों की बराबरी कर अपना आत्मसम्मान कमा रही है।
अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती राखी विक्की कुकरेजा ने अध्यक्षीय भाषण में कि नागपुर में सिंधी समाज की महिलाए हर क्षेत्र में सक्रिय होकर सराहनीय कार्य कर रही है ,उन्होंने बताया वह खुद अपने पति वीरेंद्र कुकरेजा से कंधे से कंधा मिला कर समाजसेवा और सिंधी समाज में कार्य कर रही है उनका पूरा परिवार समाजसेवा कर पूरे नागपुर सहित देश में प्रख्यात है।
इतिहास उठाकर देखें तो मां पुतलीबाई ने गांधीजी व जीजाबाई ने शिवाजी महाराज में श्रेष्ठ संस्कारों का बीजारोपण किया था। जिसका ही परिणाम है कि शिवाजी महाराज व गांधीजी को हम आज भी उनके श्रेष्ठ कर्मों के कारण आज भी जानते हैं। इनका व्यक्तित्व विराट व अनुपम है। बेहतर संस्कार देकर बच्चे को समाज में उदाहरण बनाना, नारी ही कर सकती है। अत: नारी सम्माननीय है।
बच्चों में संस्कार भरने का काम मां के रूप में नारी द्वारा ही किया जाता है।
यह तो हम सभी बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का असर पड़ता है। श्रीमती राखी कुकरेजा ने कहा कि इस संघठन के माध्यम से सिंधी समाज की महिलाओ को आत्म निर्भर करने और समाज के हित में कार्य करने हेतु सहयोग प्रदान करेंगी।
कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष डॉ भाग्यश्री खेमचंदानी, आभार प्रदर्शन सुनीता जेसवानी ने किया, उपाध्यक्ष ईश्वरी डेंबला, मंजू कुंगवानी, पूजा मोरयानी, सुधा जेसवानी ने सभी महिलाओं को पुष्प देकर सत्कार किया, कार्यक्रम में संघठन की सक्रिय सदसय भारती पंजवानी, विधि मोटवानी, काजल गंगवानी ,रश्मि बेलानी सहित भारी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी।