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भजन भक्ति मार्ग का अमृतरस महाआनंद है


नागपुर। नवरात्रि के अतिपावन पर्व पर विजयिनी सखी मंच की सखियों ने माँ जगत जननी के श्रीचरणों में श्रीभजन को प्रवाह किया। पंचमी के पावन पर्व के दिन ।
इस समारोह पर विजयिनी पूनम हिंदुस्तानी ने कहां 'भजन भक्ति मार्ग का अमृतरस है और इस रस में महाआनंद की अनुभूति होती है।'

श्री रामचरित मानस के अनुसार भगवत दर्शन तो बहुतों को हुए, लेकिन भजन न होने के कारण दर्शन का कई बार उल्टा परिणाम दिखाई दिया। भगवत दर्शन शूर्पणखा ने भी किया, रावण ने, कुंभकर्ण, मेघनाद ने, कंस और दुर्योधन ने भी किया था। मगर भजन-सिमरन के अभाव में उनको प्रभु के दर्शनों का आनंद नहीं आया।

भक्ति क्या है ? भक्ति भगवान की प्राप्ति का साधन है। भक्ति से क्या लाभ है ? भक्ति की भावना से ही हम इस सच्चाई को महसूस करते हैं कि ईश्वर ने हमे कितना कुछ दिया है। वह हमारे प्रति कितना उदार है। इससे हमें अपनी लघुता और उसकी महानता का बोध होता है, अपनी इच्छाओं और इंद्रियों पर नियंत्रण की शक्ति प्राप्त होती है और दूसरे जीवों के प्रति प्रेम का भाव पैदा होता है।  इसलिए इस तरह के पवित्र संस्कार सतत होते रहने चाहिए।

विजयिनी उपासना चौबे ने संयोजन का पूरा दायित्व सफलतापूर्वक पूरा  किया।
कार्यक्रम का समापन जलपान तथा प्रसाद वितरण से किया गया।विजयिनी शशि तिवारी ने आभार व्यक्त किया।

इसमें विशेष रूप से विजयिनी ममता तिवारी, विजयिनी उपासना चौबे, विजयिनी उज्मा कौशर, विजयिनी संगीता शर्मा, विजयिनी सुनीता अनेजा, विजयिनी प्रिया सिन्हा, विजयिनी संगीता पांडे, विजयिनी संगीता शर्मा, विजयिनी मिनी बिज्जू, विजयिनी रीना बैनर्जी, विजयिनी ज्योति खरे, विजयिनी शशि तिवारी, विजयिनी मनुजा तिवारी, विजयिनी निखत अली,

विजयिनी अरूणा सोनी, विजयिनी लतिका त्रिपाठी, विजयिनी इशिता चौधरी, विजयिनी, विजयिनी सुप्रिया मसराम, विजयिनी सुषमा नितनवरे, विजयिनी उपासना चौबे, विजयिनी प्रतिमा पांडे, विजयिनी शीला तिवारी, विजयिनी राजेश्वरी चौबे, विजयिनी सरिता शुक्ला, विजयिनी मिथिलेश तिवारी, विजयिनी सलाखा बुरडे, विजयिनी सुषमा लांगे, विजयिनी  सुषमा दुबे विशेष रूप से उपस्थित थी।
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