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लेखन कौशल आज की सबसे बड़ी आवश्यकता : प्रो. कविश्वर



नागपुर। भाषा अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है। हमारे भाव और विचार लेखन के माध्यम से ही सशक्त रूप में सम्प्रेषित होते हैं। मीडिया, साहित्य, शिक्षा, वाणिज्य आदि ज्ञान -विज्ञान के सभी क्षेत्रों में लेखन कला में निपुण लोगों की आवश्यकता है। इसीलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा कौशल पर अधिक बल दिया गया है। 

उक्त विचार राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय के अधिष्ठाता डॉ. संजय कविश्वर ने व्यक्त किए। वे विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित 'रचनात्मक लेखन कार्यशाला ' को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाषा में रोजगार की अनंत संभावनाएं निहित हैं। भाषा में दक्षता प्राप्त कर व्यक्ति ज्ञान -विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है।

इस अवसर पर समाचार लेखन कला पर विचार व्यक्त करते हुए दैनिक नवभारत के समूह सम्पादक संजय तिवारी ने कहा कि लेखन कला में निपुणता प्राप्त करने के लिए हमें लेखन को अपने दैनिक जीवन का अंग बनाना चाहिए। भाषा के माध्यम से यदि हम किसी भी क्षेत्र में अपनी बात रखने में सक्षम हैं, तो वहां निश्चित रूप से हमारी जरूरत है। 
श्री तिवारी ने समाचार लेखन की प्रक्रिया समझाते हुए समाचार में विचार के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भाषा शिक्षण में लेखन कौशल को प्राथमिकता देनी चाहिए।आज हमारे पास सूचना का भंडार है किन्तु अभिव्यक्ति क्षमता क्षीण होती जा रही है। 

कार्यक्रम का प्रास्ताविक रखते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि लेखन कला में दक्षता हासिल करने पर जीवन में सफलता के अनेक आयाम जुड़ सकते हैं। कार्यशाला की प्रासंगिकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि आज मीडिया, शासन-प्रशासन, अनुवाद, डबिंग आदि अनेक क्षेत्रों में अभिव्यक्ति कला में कुशल लोगों की आवश्यकता है। 

दूसरे सत्र के वक्ता डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी ने कहा कि मनुष्य जन्मजात सृजनशील प्राणी है। कोई भी लेखन तब ही रचनात्मक लेखन कहलाएगा जब वह नवीन होगा। मौलिकता, नवीनता, विशिष्टता और समाजोपयोगिता ही रचनात्मक लेखन की कसौटी है। उन्होंने 'साहित्य सृजन : कविता और कहानी' विषय पर व्याख्यान दिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमित सिंह ने तथा आभार डॉ. संतोष गिरहे ने व्यक्त किया। 
इस अवसर पर अंग्रेजी विभाग के प्रमुख प्रो. संजय पल्वेकर हिन्दी की प्राध्यापिका डॉ. नेहा कल्याणी, डॉ. नीलम वैरागडे, डॉ. कुंजन लाल लिल्हारे, प्रा. जागृति सिंह, डॉ. एकादशी जैतवार सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यशाला में ९७ विद्यार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
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