आयो रंगों का त्योहार
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संग में लायो प्रेम रंग की फुहार।
चारों ओर हर रंग है बिखरा ।
रंगो में डूबा यह जग सारा।
हर रिश्तो में चढ़ा यह पक्का रंग।
जो निखर कर सबके चेहरे पर आया।
रंग जाए सब फागुन के रंग में।
ढोल नगाड़े डम डम बाजे ।
मस्ती के रंग में सभी है नाचे।
रंगने को सब तैयार खड़े हैं ।
दौड़े सब रंगने को आगे पीछे।
हर कोई रंगो में हुआ लाल
पीला हरा नीला ।
प्रीत का रंग जो चढ़ा सजना।
उतरे ना यह रंग सारी उमरिया ।
सबसे पक्का है प्यार का रंग।
यह रंगों का त्योहार अंतर्मन
को समझाए रे ।
मन से मन के तार जुड़े हैं।
हर रंग यही सिखलाए रे ।
धरती देखो रंगों से सजी है।
हर तरफ है रंगों की बौछार ।
- श्रीमती सविता शर्मा, मुंबई