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ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का सफल रहा होली मिलन का आभासी कार्यक्रम



नागपुर। ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने राष्ट्रीय स्तर पर वसंत उत्सव और होली मिलन का आभासी कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर 7 मार्च को शाम 4  बजे आयोजित किया।

सर्वप्रथम संस्था के महासचिव डॉक्टर शिव शंकर अवस्थी ने भारतीय त्योहारों के बारे में कहा की लगभग 730 त्यौहार हम एक साल में हर्ष, उल्लास, प्रेम, रंग से सराभोर उमंग उत्साह से मनाते हैं। फाल्गुन माह में होली को पृथ्वी में होते परिवर्तन से और वसंतोत्सव की दस्तक समझा जा सकता है।

दिल्ली के डॉक्टर ओम प्रकाश शर्मा के होली के दृश्यों को व्यक्त करते बोल थे - सारी बुराइयां जला डालो होली में, सारे शिकवे होम कर दो होली में।
इनके बाद नागपुर के डॉ कृष्ण कुमार द्विवेदी ने गांव के जीवन का चित्र खींचते हुए कहा- चौपालों में सजती थी महफिल ,कितना बहकता  था लोगों का दिल। डा जगदीश डागर ने रंगों के त्यौहार की काव्य मय मुबारक दी, तो दिल्ली के डॉ संदीप कुमार शर्मा का व्यंग था - किताबों का रंग बरस रहा, है होली का रंग तरस रहा, किसी को भाई हिंदी, उर्दू,  किसी को भाए रंग रसिया।

डा सुदेश भाटिया, डा अरुण पासवान ने जोगीरा के ताल पर रंगारंग प्रस्तुति दी - बहुत दूर है गांव से ,पर नहीं यादों से दूर। रंग रंग के रंग भी रहते, रंग रंग होते अबीर। प्रो हरीश अरोड़ा ने मथुरा वृंदावन के होली के रंगों से सराभोर किया। तो कौशांबी की मुक्ता मिश्रा ने कहा - व्यसनों का छूटे संग, अबके होली में, संकल्प लो करें ना हुड़दंग, अबके होली में।

डॉ सलमा जमाल ने होली में महोबा के रंगों से भरते हुए जबलपुर की धूम मचाती होली का लोकगीत यूं गाया - महोबे के पान है करारे, खाते सबरो होलियारे, होली खेलत बूढ़े बोर, घर से निकलते मतवारे। आगरा के डॉ शशि गोयल ने फागुन में रंगों का महत्व बताया तो हैदराबाद की डॉ अहिल्या मिश्रा ने बिहार की होरी को कुछ यूं प्रस्तुत किया - होरी में बिछोह की कसर लागी होरी में, होरी में मस्ती मुखर लागी होरी में।

छिंदवाड़ा के लक्ष्मण डेहरिया ने अपनी सुंदर ग़ज़ल सुनाई तो डॉ हरिसिंह पाल ने ब्रज भाषा में रंगों का सरूर बिखेर दिया। केरला की डॉ सी जे प्रसन्ना कुमारी ने एक व्यथा व्यक्त की जंगल की खोज में, भोजन की तलाश में, उजड़े वनस्पति, बने मरुस्थल।
वहीं डॉक्टर सरोजिनी प्रीतम की क्षणिकाएं थी 
प्रेमिका ने बताया था, उनका जीवन खुली किताब है।

मैंने भी तो उनको पुस्तक मेले में ही पाया था ।
उनके अनेक रंगों की क्षणिकाओं के बाद वीरेंद्र शेखर ने होली को यायावर मैं, यायावर तू पल-पल की कहानी है, गीत की प्रस्तुति की।

नरेंद्र परिहार नागपुर, आगरा के युवराज सिंह युवा डॉ यश यश डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया डॉक्टर ममता सिंह मीना गुप्ता राधेश्याम बंधु नागपुर के डॉक्टर बालकृष्ण महाजन दुर्ग के विजय कुमार गुप्ता यशोधरा यादव यशो वाराणसी की प्रोफ़ेसर रचना शर्मा के बाद दिल्ली के जय बहादुर सिंह राणा ने नेता पुराण पर हास्य के अनूठे रंग बिखेरे और अंत में डॉक्टर शिव शंकर अवस्थी होरी गीत होरी बाऊ, मोरी बाऊ, कवे बजे रमवूला। 

फाल्गुन में, आंगन में माडवा गाड़ दे, मोहरे हल्दी लगा दे, मेरी उमर के सवरे लरका, हो गए बिटिया वाले।
कार्यक्रम का सफल संचालन संस्था के महासचिव डॉक्टर शिव शंकर अवस्थी ने किया और आभार संस्था की वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर अहिल्या मिश्रा ने माना।
समाचार 8694772790610540519
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