गोवा 456वें नवीकरण पाठ्यक्रम का आयोजन सम्पन्न
पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के, साथ-साथ डॉ. योगेंद्रनाथ मिश्रा, डॉ. साईनाथ चपळे ने कक्षाध्यापन कार्य किया। गोवा विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. वृषाली मांद्रेकर, पीएसई कला व वाणिज्य महाविद्यालय, फार्मागुड़ी, फोंडा-गोवा के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप लोटलीकर, चौगुले कला व वाणिज्य महाविद्यालय, मडगांव के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप जटाळ ने विशेष व्याख्यान में अपना-अपना योगदान दिया। इसमें हिंदी व्याकरण तथा उसके विविध आयामों पर चर्चा की गई, उच्चारण दोष, वर्तनी सुधार, मौखिक अभिव्यक्ति, लिखित अभिव्यक्ति, भाषा शिक्षण, साहित्य शिक्षण, भाषा परिमार्जन, हिंदी शिक्षण में प्रौद्योगिकी का प्रयोग, प्रयोजनमूलक हिंदी, हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, हिंदी भाषा का उद्भव और विकास, कविता, कहानी और नाटक शिक्षण, अनुवाद, हिंदी और कोंकणी का व्यतिरेकी पक्ष आदि पर ज्ञानवर्धन किया गया। अंत में उनका पर-परीक्षण लिया गया। पर-परीक्षण में प्रथम स्थान श्रीमती अनीता सक्सेना, द्वितीय स्थान श्री दिलीप हरमलकर, तृतीय स्थान श्रीमती म्हांबरे ने प्राप्त किया
पाठ्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस भी मनाया तथा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं। इसमें कोंकणी, मराठी लोकगीत, लोकनृत्य, पोस्टर प्रदर्शनी, स्लोगन लेखन, निबंध लेखन, भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिता (विषय - "मातृभाषा व्यक्तित्व विकास में सहायक है।") का आयोजन किया तथा प्रतिभागियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। वाद-विवाद प्रतियोगिता में विषय पक्ष में प्रथम पुरस्कार श्रीमती अनीता सक्सेना को तथा विषय के विपक्ष में प्रथम पुरस्कार श्रीमती अर्पणा प्रभू को प्राप्त हुआ।
पाठ्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों से सृजनात्मक कार्य करवाया गया तथा उन्होंने हस्तलिखित पत्रिका की रचना की जिसमें गोवा राज्य के कोंकणी तथा मराठी भाषी स्वतंत्रता सेनानियों, साहित्यकारों, प्राकृतिक सौंदर्य, पर्यटन स्थलों आदि के बारे में लिखा है। कुछ प्रतिभागियों ने स्वरचित कविताएँ, संस्मरण, साक्षात्कार आदि लिखे। हस्तलिखित पत्रिका का नाम "गोमंत दर्पण" रखा गया। समापन समारोह में हस्तलिखित पत्रिका "गोमंत दर्पण" का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
समापन समारोह के दौरान प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम से संबंधित अपने मंतव्य प्रतिक्रियाओं रूप में अपने प्रस्तुत किए। हिंदी देशभक्ति गीत, स्वरचित कविताएँ प्रस्तुत कीं। अतिथियों के करकमलों द्वारा सभी पुरस्कृत प्रतिभागियों को पुरस्कार दिए तथा सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरण किए गए। समारोह में उपस्थित अतिथियों ने प्रतिभागियों को संबोधित किया तथा हिंदी शिक्षण को रूचिपूर्ण तरीके से अपने छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने यह भी कहा कि अध्यापकों को हमेशा विद्यार्थी बनकर ज्ञान अर्जित करते रहना चाहिए तथा उसका प्रयोग अपने कक्षाध्यापन के दौरान हिंदी भाषा सीखने के प्रति छात्रों ने रूचि उत्पन्न करनी चाहिए। विभिन्न तरीकों से विचारों को रखना चाहिए तथा विद्यार्थियों में सृजनात्मकता निर्माण करनी चाहिए।
समारोह का सफल संचालन हिंदी अध्यापिका श्रीमती म्हांबरे ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन तथा आभार हिंदी अध्यापक श्री सुरेश भंडारी ने प्रस्तुत किया। राष्ट्रगान के साथ समापन समारोह संपन्न हुआ।