विद्यार्थियों ने रमाबाई अंबेडकर को दी आदरांजलि
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नागपुर। अरविंद इंडो पब्लिक स्कूल हेटी (सुरला) सावनेर ने रमाबाई अंबेडकर को आदरांजली अर्पित की। श्रीमती सोनिया पाटिल ने विद्यार्थियों को बताया कि रमाबाई अंबेडकर का जन्म 7 फरवरी सन 1898 को महाराष्ट्र के दापोली के निकट वानाड़ नामक गांव में हुआ था। वह डॉ.भीमराव अंबेडकर की पत्नी थी। उन्हें माता रमाबाई, माता रमाई, और रमाताई के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि रमाई का अर्थ है रमा+आई। भीमराव अंबेडकर 14 वर्ष के थे तभी रमाबाई का विवाह उनसे हो गया था।
रमाबाई एक कर्तव्य परायण, स्वाभिमानी, गंभीर और बुद्धिजीवी महिला थी। उन्होंने आर्थिक कठिनाइयों का सामना सुनियोजित ढंग से किया। और घर गृहस्ती को कुशलतापूर्वक चलाया। उन्होंने हर कदम पर अपने पति भीमराव अंबेडकर का साथ दिया और उनका साहस बढ़ाया। रमाबाई सदाचारी और धार्मिक प्रवृत्ति की ग्रहणी थी। भीमराव अंबेडकर भाग्यशाली महापुरुषों में से एक थे जिन्हें रमाबाई जैसी बहुत ही नेक और आज्ञाकारी जीवनसाथी मिली थी।
डॉ. भीमराव अंबेडकर जब अमेरिका में थे उस समय रमाबाई ने बहुत कठिन दिन व्यतीत किए। पति विदेश में हो और घर खर्च भी न हो, रमाबाई ने यह कठिन समय भी बिना किसी शिकायत के बड़ी वीरता से हंसते-हंसते काट लिया। दिसंबर 1940 में भीमराव अंबेडकर ने जो पुस्तक 'थॉट्स ऑफ पाकिस्तान' लिखी, वह उन्होंने अपनी पत्नी रमो को भेंट की।
भेंट में उन्होंने कहा मैं यह पुस्तक रमो को उसके मन की सात्विकता, मानसिक सदवृत्ति, सदाचार की पवित्रता और मेरे साथ दुख झेलने में, अभाव व परेशानी के दिनों में जबकि हमारा कोई सहायक न था, अतीव सहनशीलता और सहमति दिखाने की प्रशंसा स्वरूप भेंट करता हूं। इससे स्पष्ट होता है कि रमाबाई ने भीमराव अंबेडकर को किस प्रकार संकट के दिनों में साथ दिया और डॉ. अंबेडकर के हृदय में उनके लिए कितना आदर और सत्कार था।
रमाबाई का जीवन दुख पूर्ण था उनके 3 पुत्र और एक पुत्री ने देह त्याग चुके थे। डॉ.अंबेडकर को विश्वविख्यात महापुरुष बनाने में रमाबाई का ही साथ था। संगीत अध्यापिका श्रीमती स्मिता आटलकर ने गीत प्रस्तुत कर रमाबाई को आदरांजलि दी।
विद्यार्थियों ने भी अपने -अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के सफलतार्थ प्रणय वंजारी, वंदना बारापात्रे, रंजना ठाकुर ने सहयोग दिया। विद्यालय के प्राचार्य श्रीमान राजेंद्र मिश्रा ने विद्यार्थियों की सराहना की ।