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ओडिशा : हॉकी का 'स्वयंवर' सफलता पूर्वक संपन्न


               
लगातार दूसरी बार हॉकी विश्व कप का सफलतापूर्वक आयोजन कर हॉकी इंडिया ने इतिहास बनाने में सफलता अर्जित की है। इस सफलता का मुख्य श्रेय नवीन पटनायक की ओडिशा सरकार को दिया जाना चाहिए, जिन्होंने 10 वर्ष पूर्व भारतीय हॉकी के कप्तान दिलीप तिर्की की सलाह पर हॉकी खेल में निवेश कर इसके लिए पूरे राज्य में ना केवल सकारात्मक वातावरण तैय्यार किया, अपितु इसके लिए सभी साधन उपलब्ध करवाए। विश्व कप के पहले राउरकेला में रिकॉर्ड समय में नए विश्व स्तरीय स्टेडियम का निमार्ण करवाना कोई आसान काम नहीं था। 

ओडिशा की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर के साथ औद्योगिक विकास को दृष्टिगत रखते हुए पौराणिक मान्यतानुसार महर्षि वेदव्यास की जन्मस्थली कोएना नदी, शंख नदी एवं सरस्वती कुंड का त्रिवेणी संगम ब्राह्मणी नदी के रूप में परिवर्तित होती है, ऐसे स्थान पर पहले से अंतरराष्ट्रीय स्तर के दो हॉकी स्टेडियम रहने के बावजूद विश्व का सबसे अधिक दर्शकों के बैठने की क्षमता वाला स्टेडियम तैयार करना अपने राज्य में हॉकी के साथ साथ पर्यटन को बढ़ावा देने का दूरगामी निर्णय सिद्ध होगा।

11 जनवरी को विश्व कप की सभी 16 टीमों के साथ कटक में 15 वें हॉकी विश्व कप का रंगारंग उदघाटन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसकी पूर्व संध्या पर महानदी के तट पर रेत से सामायिक विषयों पर कलाकृतियां बनाने के लिए विख्यात पद्मश्री से सम्मानित श्री सुदर्शन पटनायक द्वारा हॉकी विश्व कप के लिए 5000 हॉकी बॉल एवं 105 फीट लंबी स्टिक से बनाई कलाकृति की भव्यता देखते ही बनती थी। इस कलाकृति को वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया ' में सम्मिलित करना इसके साथ न्याय करना ही हुआ।
                      
ओडिशा सरकार ने उद्घाटन समारोह के शहर कटक के साथ साथ मैचों के शहर भुवनेश्वर एवं राउरकेला ही नहीं, पूरे ओडिशा राज्य को दुल्हन की तरह सजाया, हॉकी एवं अन्य खेलों के साथ साथ राज्य की सांस्कृतिक - ऐतिहासिक धरोहर का भी खुलकर प्रदर्शन किया गया। 

स्थानीय निवासियों, व्यवसायिक संगठनों ने भी राज्य सरकार के प्रयासों को कंधे से कन्धा मिलाकर सहयोग किया। रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, स्थानीय बाजार, से लेकर नगर एवं गांव सभी जगह ऐसा वातावरण था,  जैसे हॉकी के स्वयंवर के लिए पूरा राज्य समर्पित होकर इसके 'वर' की प्रतीक्षा में आतुर है।

प्रत्येक मैच के दौरान दर्शकों की उपस्थिति कोई साधारण कार्य नही था, यह तो राज्य सरकार द्वारा सतत 10 वर्षों से हॉकी के समर्थन में किए गए प्रयासों का ही परिणाम था। 

13 जनवरी को विश्व कप के अपने आरंभिक मैच के दौरान तो राउरकेला के बिरसा मुंडा स्टेडियम में दर्शक दीर्घा में बैठे 20000 दर्शकों में से शायद ही कोई ऐसा दर्शक होगा जिसको भारतीय हॉकी टीम के खेल रहे स्थानीय खिलाड़ी अमित रोहिदास, नीलम एक्स्स नाम से नही जानते होगें। कोई मित्र, कोई रिश्तेदार, कोई पड़ोसी, कोई सीनियर/जूनियर साथी, कोई सहयोगी ऐसे ही लोगों से स्टेडियम भरा हुआ था।

स्टेडियम में मैच देखने का रोमांच एक अलग ही अनुभव है। प्राकृतिक घांस, पश्चात एस्ट्रोटर्फ एवं अब पॉलीग्रास पर मैच एक अद्वितीय अनुभव है। हॉकी खेल अब लंबी थ्रू पासेस एवम टीम की रणनीति पर ज्यादा निर्भर हो गया है। खेल की गति अत्यंत तेज हो गई है, खिलाड़ियों को ज्यादा फिट (शारीरिक एवं मानसिक) रहना पड़ रहा है। 

हॉकी इंडिया, ओडिशा सरकार एवं स्थानीय प्रशासन सभी ने इस स्वयंवर की सफलता हेतु अथक प्रयास किए हैं। हॉकी इंडिया ने भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ियों (पुरुष / महिला) का मैच के दौरान सम्मान करना, इनके द्वारा मैच विजेताओं को सम्मानित करवाना भी शामिल है। स्थानिय प्रशासन एवं ओडिशा पुलिस विभाग का रवैया दर्शकों के प्रति अत्यंत सहयोगात्मक रहा। 

स्टेडियम के अपने एक अनुभव को साझा करना चाहूंगा, 'सुरक्षा जांच के दौरान मेरा पेन, एवं मिठाई का बॉक्स स्टेडियम दर्शक दीर्घा के प्रवेश द्वार पर रखवा लिया गया था, दोनों वस्तुएं मुझे मैच समाप्ति पर वापसी पर ससम्मान प्राप्त हो गई। 

हॉकी विश्व कप को भारतीय मीडिया द्वारा ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना, समझ से परे है। और तो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फाइनल मैच के दिन अपने 'मन की बात' उद्बोधन में इस आयोजन का जिक्र नहीं करना उचित नहीं लगा। क्या हमारा राष्ट्रीय खेल इसका हकदार नहीं था ? 

हॉकी विश्व कप जीतना संभावनाओं एवं तैयारियों का विषय है। रातों रात कोई विश्व विजेता नही बन जाता। इसके लिए सरकारी एवं फेडरेशन स्तर पर अत्यधिक सुनियोजित प्रयास करने पड़ते हैं। इस हॉकी विश्व कप ने एक बात तो सिद्ध कर दी कि, कोई भी टीम बुलेट प्रूफ अर्थात अभेद्य नही रही। पश्चिम जर्मनी ने अपने इस टूर्नामेंट के इतिहास को दोहराते हुए मैच में पिछड़ने के बावजूद फाइनल मैच में भी वापसी करते हुए विश्व कप रूपी धनुष्य को तोड़कर ना केवल विश्व कप रूपी 'स्वयंवर' के ताज का वरण किया अपितु बेल्जियम को विश्व स्तरीय टूर्नामेंट की हैट्रिक बनाने से रोका। 

भारतीय टीम के प्रदर्शन पर अगले स्तंभ में विस्तार से चर्चा करेंगे। लगातार दूसरी बार हॉकी का विश्व कप आयोजित कर हमने विश्व पटल पर अपनी जीत अवश्य दर्ज करा ली है, धन्यवाद हॉकी इंडिया, धन्यवाद ओडिशा। इसी उम्मीद के साथ की जिस प्रकार क्रिकेट का विश्व कप इंग्लैंड द्वारा लगातार 3 बार आयोजित किया गया था, उसी प्रकार हमारे सफलतम प्रयासों के ईनाम स्वरूप 2027 में पुनः हॉकी विश्व कप आयोजित करने का अवसर प्रदान किया जाएगा, शुभकामनाओं सहित।

- जितेंद्र शर्मा (समाजसेवक)
नागपुर, महाराष्ट्र
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