प्रयोजनमूलक हिंदी व्याख्यानमाला का आयोजन
कार्यक्रम के प्रथम दिन अतिथि वक्ता के रूप में वरिष्ठ हिंदी अधिकारी चद्रंशखेर तिवारी ने हिंदी विज्ञापन, फीचर लेखन, प्रूफ शोधन के कार्य में रोजगार इस विषय पर व्याख्यान देते हुए वर्तमान मे विज्ञापन क्षेत्र की महत्ता को बताया, फीचर लेखन, प्रूफ शोधन के कार्य में रोजगार पाने के लिए किस पात्रता की आवश्यकता है? इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए इस तथ्य पर बल दिया कि सुगमता से रोजगार पाने के लिए भाषा पर हमारा प्रभुत्व होना चाहिए तभी हम विकास की बुलंदियों को छू सकते हैं.
द्वितीय दिन मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में टीकाराम साहू ‘आजाद’ उपस्थित ने हिंदी पत्रकारिता और मीडिया से रोजगार इस विषय पर वक्तव्य देते हुए पत्रकारिता के लिए दृढ़ निश्चय, प्रयास, आत्मविश्वास, स्वाभिमान इन चार बातों की आवश्यकता पर बल दिया साथ ही जर्नेलिज्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
उनका मानना था कि अगर भाषा पर प्रभुत्व हो तो रोजगार के ढेरों द्वार खुले हैं। जैसे साहित्य सृजन, सूत्र संचालन, ट्रैवल एंड टूरिज्म के क्षेत्र में गाइड रेडियो, जॉकी, प्रिटिंगं प्रेस आदि पत्रकारिता में फोटोग्राफी के महत्व और उनके नए आयामों पर भी प्रकाश डाला.
तीसरे दिन मुख्य अतिथि वक्ता डॉ. अनिल त्रिपाठी ने हिंदी भाषा से रोजगार इस विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा कि हिंदी भाषा में अन्य भाषाओं से दुगने अवसर उपलब्ध है.आवश्यकता है अपने ऊपर आत्मविश्वास की, ईमानदारी पूर्ण प्रयासों की साथ ही यू. पी. एस. सी, एम.पी.एस.सी, स्टाफ सिलेक्शन के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की जानकारी दी.
त्रिपाठी का मानना था कि अधिक डिग्री लेने की अपेक्षा एक डिग्री को लेकर नौकरी की तलाश करनी चाहिए. साथ ही लक्ष्य निर्धारित कर, लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें? सकारात्मक सोच, परीक्षा की तैयारी,, पढ़ाई की गंभीरता, आत्मविश्वास को कैसे बढ़ाएं इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला.
चौथे दिन अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित नागपुर की वरिष्ठ लेखिका डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव उपस्थित ने साहित्यिक विधाएँ और सृजनात्मक भाषा के प्रयोग से रोजगार इस विषय पर वक्तव्य देते हुए हिंदी साहित्य में किस प्रकार से प्रयोजनमूलक हिंदी का प्रयोग किया जा सकता है?
इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए भारतेंदु युग, द्विवेदी युग, छायावादी युग यात्रा वृत्तांत, स्मृति लेखन, निबंध, लघुकथा, कहानी आदि के अंतर को समझाते हुए हिंदी भाषा में आत्मविश्वास को किस तरह जगाया जा सकता है इसकी विस्तृत जानकारी छात्राओं को दी.
छात्राओं में भाषा के प्रति सकारात्मकता को रखते हुए उनके साथ भावनात्मक संबंध स्थापित किया। पांचवे दिन मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में राजभाषा सम्मान से सम्मानित डॉ. जयप्रकाश ने हिंदी से अध्यापक और प्रशिक्षण के क्षेत्र में रोजगार इस विषय पर अपना वक्तव्य दिया.
उन्होंने नयी शिक्षा नीति के बारे मे भी छात्राओ को मार्गदर्शक किया और शिक्षक बनने लिए कौनसा कौर्स करना चाहिए उसकी तैयारी कैसे करनी चाहिए और रोजगार के लिए आवेदन किस तरह करना चाहिए , इस बारे में भी जानकारी दी. कार्यक्रम का समन्वयन एवं संचालन डॉ. नीलम हेमंत वीरानी ने किया. अतिथियों का परिचय श्रद्धा शर्मा कॉलेज की छात्रा शिफा और गजाला ने किया.
आभार प्रदर्शन की भूमिका प्राचार्या. डॉ. श्रद्धा अनिलकुमार ने निभाई.
कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु कार्यक्रम की संयोजिका प्राचार्या डॉ. श्रद्धा अनिल कुमार ने अथक प्रयास किया. जिसमें महाविद्यालय समस्त प्राध्यापिकाओं और छात्राओं का सहयोग प्राप्त हुआ. कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ.चेतना पाठक, श्रद्धा शर्मा, डॉ योगेश्वरी डबली, मनीषा चौहान, डॉ ज्योति चेलानी का सहयोग प्राप्त हुआ.