'स्त्री विमर्श के क्या हों नये प्रतिमान' पर परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी
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नागपुर। महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा एवं सृजन बिंब प्रकाशन के तत्वावधान में नववर्ष 2023 पर महिलाओं हेतु विशेष कार्यक्रम 'वामा विमर्श' की श्रृंखला के प्रथम आयोजन में 'स्त्री विमर्श के क्या हों नये प्रतिमान' पर परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आरम्भ कवयित्री स्वाति सुमेश पैंतिया द्वारा 'सरस्वती वन्दना' से किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता समाज सेविका एवं नगर सेविका श्रीमती प्रगति पाटिल ने की। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए श्रीमती पाटिल ने कहा कि स्त्री- शिक्षा, स्त्री सुरक्षा एवं स्त्री - पुरूष समानता, इस पर कार्य करने वाली सभी महिलाओं को मैं सलाम करती हूँ। जिस न्याय की बात महिलाएँ करती हैं, वो तब तक नहीं मिल सकता जब तक महिलाएँ सत्ता में नहीं जाएंगी।
अध्यक्ष श्रीमती पाटिल, मुख्य अतिथि एवं विषय प्रवक्ता डाॅ आभा सिंह (लेखिका एवं हिन्दी विभाग प्रमुख, वीएमवी महाविद्यालय, नागपुर), उत्तराखण्ड से आयीं विशिष्ट अतिथि एवं अतिथि वक्ता डाॅ पूनम अरोरा (लेखिका एवं शिक्षिका), विशिष्ट अतिथि प्रियंका शक्ति ठाकुर (लेखिका, रंगकर्मी एवं रंग निर्देशक), महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा की सचिव सुनिता मुंजे, रीमा दीवान चड्ढा निदेशक सृजन बिंब प्रकाशन एवं शगुफ़्ता यास्मीन काज़ी कार्यक्रम संयोजिका मंचासीन रहीं।
सफल संचालन पत्रकार एवं लेखिका अर्चना सिंह सोनी ने किया, जिनकी मधुर व ओजस्वी वाणी ने समय को पूर्णरूपेण बाँधे रखा। विषय प्रवक्ता डाॅ आभा सिंह के सशक्त प्रभावशाली वक्तव्य ने सभी श्रोतागणों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रमुख वक्ता प्रभा मेहता एवं हेमलता मिश्र मानवी जी ने अपने प्रभावशाली व अनुभवी वक्तव्यों के माध्यम से स्त्री विमर्श के नये प्रतिमान प्रस्तुत किए। प्रियंका शक्ति ठाकुर ने कहा कि परिवार के सहयोग से ही स्त्रियाँ सतत आगे आ सकती हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी विदुषियों द्वारा 'वामा विमर्श के क्या हों नये प्रतिमान' विषय पर होने वाली स्वस्थ चर्चा - परिचर्चा में उत्साहपूर्वक भागीदारी की गयी।
प्रमुख कवयित्रियाँ डाॅ कृष्णा श्रीवास्तव, शशि भार्गव 'प्रज्ञा, ज्योति गजभिये, निर्मला पांडेय, नीलम शुक्ला, नंदिता मनीष सोनी, स्वाति सुमेश पैंतिया, पलक अरोरा, सरोज गर्ग, रितु आसई, सुषमा अग्रवाल, रेशम मदान, उमा हरगन, रश्मि मिश्रा और किरण हटवार ने एक से बढ़कर एक रचनाएँ सुनायीं। कुछ कविताएँ अद्भुत रहीं।
उत्तराखण्ड से आयी शिक्षिका व लेखिका डाॅक्टर पूनम अरोरा ने 'स्त्री से अपेक्षा' शीर्षक पर रचना पाठ किया तथा पूना से आई इंजीनियर व कवयित्री पलक अरोरा ने पंजाबी रचना का पाठ किया। यह गोष्ठी लगभग 3 घण्टे से अधिक चली।
संयोजिका व वरिष्ठ साहित्यकार शगुफ़्ता ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। सृजन बिंब प्रकाशन की निदेशक व वरिष्ठ कवयित्री, साहित्यकार रीमा दीवान चड्ढा के आतिथेय के उपरांत गोष्ठी सम्पन्न हुई। आभार माया शर्मा ने व्यक्त किया।