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ज्येष्ठ जन अपने परिवार के कुलगुरू बनें : डाॅ. शरद निंबालकर



ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित व्याख्यान समारंभ संपन्न 

नागपुर। ज्येष्ठ नागरिकों को चाहिए कि वे ढलती उम्र में मोह, माया को त्यागकर अब तक जो उन्होंने कमाया उसे अपने परिवार और समाज में बांटना शुरू करें। समाज को संस्कारित करने के लिए यदि ज्येष्ठ नागरिक समाज के हित में कुछ नहीं कर सके तो भी कोई बात नहीं लेकिन कम से कम अपने परिवार को संस्कारित करने के लिए उन्हें अपने परिवार का कुलपति बनना होगा। 

यह विचार पंजाबराव कृषि विद्यापीठ के पूर्व कुलपति एवं संत साहित्य के गाढ़े जानकार डॉ. शरद निंबाळकर ने व्यक्त किए। 

ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान, नागपुर की ओर से आयोजित एवं ज्येष्ठ नागरिक मंडल, नागपुर (पश्चिम) के सहयोग से संपन्न 'ढलती उम्र  : एक आनंद यात्रा' विषय पर आयोजित व्याख्यान में डाॅ निंबाळकर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता  दैनिक तरूण भारत के मुख्य संपादक गजानन निमदेव ने की। बतौर प्रमुख अतिथि दै. लोकशाही वार्ता के संपादक तथा सी. ई. ओ. भास्कर लोंढे उपस्थित थे। ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान के सचिव डॉ. राजू मिश्रा मंच पर विराजमान थे।

डाॅ. निंबाळकर ने कहा कि जिस दिन हम 'सब कुछ' त्यागकर जीवन जीना शुरू करेंगे समझो उसी दिन से जीवन की आनंद यात्रा शुरू हो चुकी है। उनका कहना था कि सच मायने में देखा जाए तो ढलती उम्र ही आनंद यात्रा हो सकती है, आवश्यकता है तो केवल इस आनंद यात्रा का उपभोग करने की।

श्री लोंढे ने कहा कि किसी से कोई अपेक्षा न रखते हुए ज्येष्ठ नागरिकों को अपना जीवन जीना चाहिए। यदि वे ऐसा करते हैं तो कोई दुख उन्हें कभी छू ही नहीं सकता। 

उन्होंने कहा कि इच्छा, अपेक्षा, माया, मोह रूपी रावण को स्वयं से जीतना दूर भगाओगे उतना राम करीब महसूस होगा। रावण का दूर होना ही राम का जीवंत होना है। जिस दिन आप अपने अंदर के राम का दर्शन कर लोगे उसी दिन से आपके जीवन की आनंद यात्रा प्रारंभ हो जाएगी।

श्री निमदेव ने स्पष्ट कहा कि विभक्त परिवार पद्धति के कारण घर के बुजुर्गों के चेहरे से खुशी गायब हो गई है। बुजुर्गों को चाहिए कि वे अपने आप में रहकर जीवन का आनंद लें। जीवन में जो भी संचित किया है उसे अपने हित में खर्च करें। 

निमदेव ने आगे कहा कि जो भी जीवन में कमाया है 'धन संपत्ति' उसे अंत तक अपने लिए संजोकर रखें, बच्चों के प्रेम में पड़कर उनके नाम सब कुछ कर देने की भूल यदि की तो तकलीफ उठानी पड़ सकती है। इस बात को उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्म 'बागबान' की स्टोरी सुनाकर समझाया।

कार्यक्रम का प्रास्ताविक ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान समन्वय समिति की सदस्य डॉ. मंगला गावंडे ने, संचालन डाॅ. राखी खेड़ीकर ने एवं आभार प्रदर्शन ज्येष्ठ नागरिक मंडल नागपुर (पश्चिम) की सचिव मृदुला पंडित ने किया।

इस अवसर पर प्रतिष्ठान के सचिव डॉ. राजू मिश्रा, समन्वय समिति के सदस्य अनिल पात्रिकर, दीपक नक्षणे और हिम्मत जोशी मंच पर उपस्थित थे।

कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रतिष्ठान समन्वय समिति के सुरेश कर्दळे, हिम्मत जोशी, नानासाहब समर्थ, हेमंत अंबरकर, अरूण भुरे, दीपक शेंडेकर, डाॅ. मिलींद वाचनेकर, विजय बावणकर, 

सुरेश तन्नीरवार, बिपीन तिवारी, अंगद सोलंकी, डाॅ. संजय उगेमुगे, सुनील अडबे के साथ ही पश्चिम नागपुर ज्येष्ठ नागरिक मंडल के अध्यक्ष डॉ. सुधीर बोधनकर, प्रभाकर पळसकर,  स्नेहल मंडले, अनिल चौधरी, विनायक प्रभुने, गिरीश देशपांडे, अदिती सोमण, शैलजा गोवर्धन ने अथक प्रयास किए।
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