वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा का योगदान
आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में जन्में पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण द्वारा सन् 1956 में दक्षिण भारत के हिंदी प्रेमियों के हिंदी सीखने एवं प्रशिक्षण के लिए ‘अखिल भारतीय हिंदी महाविद्यालय‘ की स्थापना आगरा में की थी। इसके पीछे उनका उद्देश्य यह था कि दक्षिण भारत के हिंदी प्रेमी हिंदी प्रदेश में रहकर हिंदी सीखेंगे तो वे जल्दी ही व्यावहारिक हिंदी सीख पाएँगे। बाद में सन् 1960 में इसका नाम बदलकर केंद्रीय हिंदी संस्थान कर दिया गया तथा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय को इसे स्वायत्तता दिलाने के लिए उन्होंने प्रयास किया। पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण संविधान सभा के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास के प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया। वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं।
केंद्रीय हिंदी संस्थान के हैदराबाद केंद्र के अंतर्गत सात राज्य आते हैं- तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, पुदुचेरी, अंडमान-निकोबार, महाराष्ट्र तथा गोवा। इन सातों प्रदेशों के सरकारी माध्यमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयों के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए कार्यशाला (नवीकरण/पुनश्चर्या पाठ्यक्रम) का आयोजन कर उन्हें हिंदी उच्चारण एवं लेखन, व्याकरण के विविध आयाम, सृजनात्मक लेखन, हिंदी शिक्षण में प्रौद्योगिकी का प्रयोग, पाठ्यपुस्तक चर्चा तथा विश्लेषण, भाषा परिमार्जन, शिक्षण विधि आदि विषयों का ज्ञान दिया जाता है। इसके माध्यम से हिंदी अध्यापकों को अध्यापन के लिए अद्यतन (अपडेट) किया जाता है। हिंदीतर प्रदेश के हिंदी अध्यापक प्रशिक्षण के माध्यम से अद्यतन होंगे तो वे अपने छात्रों को अच्छी तरह तथा नए तरीके से हिंदी सीखा पाएँगे। वे अपने अध्यापन कार्य में नवीनता ला पाएँगे। नवीकरण पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण के बाद हिंदी अध्यापक अपने अध्यापन में कार्यशाला में बताई गई पद्धति का अपने छात्रों को हिंदी सीखाने में प्रयोग करते हैं तथा अपने छात्रों में हिंदी सीखने के प्रति रूचि उत्पन्न करते हैं।
आगरा में भारत के हिंदीतर राज्यों के विद्यार्थियों के लिए हिंदी शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम - हिंदी शिक्षण प्रवीण (डि.एल.एड. समकक्ष), हिंदी शिक्षण पारंगत (बी.एड. समकक्ष), हिंदी शिक्षण निष्णात (एम.एड. समकक्ष) चलाए जाते हैं। भारत के हिंदीतर प्रदेश के विद्यार्थी तथा सरकारी विद्यालय के अप्रशिक्षित हिंदी अध्यापक भी इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं तथा विदेशी विद्यार्थी हिंदी भाषा दक्षता पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं। सभी छात्रों के आवासीय व्यवस्था के लिए दो पुरुष छात्रावास तथा दो महिला छात्रावास हैं। इस तरह आगरा में एक लघु विश्व तैयार होता है। भारत तथा सभी देशों के छात्र अपनी-अपनी संस्कृति तथा खान-पान से संबंधित वार्तालाप करते हैं। दोनों एक दूसरे से हिंदी तथा अन्य बातें सीखते हैं।
केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के दिल्ली केंद्र पर सन् 1971 से विदेशी विद्यार्थी हिंदी सीखने के लिए आते रहे। उसके बाद सन् 1990 से मुख्यालय आगरा में भी विदेशी विद्यार्थियों के हिंदी प्रशिक्षण के लिए हिंदी भाषा दक्षता प्रमाणपत्र (100), हिंदी भाषा दक्षता डिप्लोमा (200), हिंदी भाषा दक्षता उच्च डिप्लोमा (300) आदि पाठ्यक्रम शुरू किए गए। वर्तमान में संस्थान के दिल्ली केंद्र पर उक्त पाठ्यक्रम का संचालन स्ववित्त पाठ्यक्रम योजना के अंतर्गत किया जाता है। दिल्ली केंद्र पर स्ववित्त पाठ्यक्रम में लगभग 25-30 देशों के औसतन 60-70 विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। मुख्यालय आगरा में चार पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। उक्त पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त स्नातकोत्तर हिंदी डिप्लोमा (400) पाठ्यक्रम चलाया जाता है। आगरा में लगभग 40-45 देशों के औसतन 90-95 विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। आगरा में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय हिंदी संस्थान विदेशी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है। विदेशी विद्यार्थियों को उनके देश से भारत आने-जाने का हवाई जहाज के टिकट की व्यवस्था संस्थान करता है। उनके दिल्ली हवाई अड्डे से आगरा तथा वापस की व्यवस्था भी संस्थान द्वारा की जाती है।
बुल्गारिया, बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान, अर्मेनिया, कज़ाखस्तान, कोस्टा रिंका, दक्षिण कोरिया, चीन, इजिप्ट, गयाना, जापान, तुर्की, मंगोलिया, मैक्सिको, म्यांमार, पोलैंड, पेरू, फिलिपींस, फिजी, मॉरीशस, सुरीनाम, रोमानिया, रूस, श्रीलंका, ताज़िकिस्तान, ताइवान, थाइलैंड, उज़्बेकिस्तान, हंगेरी, स्पेन, यूक्रेन, नाइजेरिया, चाड, झेकोस्लावाकिया, ऑस्ट्रेलिया, नेदरलैंड, न्यूजीलैंड, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों से विदेशी विद्यार्थी केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी सीखने के लिए प्रवेश लेने के लिए आते हैं।
संस्थान के उक्त पाठ्यक्रम श्रीलंका में स्थित स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (पूर्व नाम- आईसीसी) कोलंबो तथा कैंडी में भारत के सहायक उच्चायुक्त कार्यालय में चलाए जाते हैं। श्रीलंका में हर वर्ष लगभग 300 से 350 छात्र संस्थान के उक्त पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं में बैठते हैं।
विदेशी विद्यार्थियों को आगरा में नौ माह के दौरान हिंदी शिक्षण के साथ-साथ भारतविद्या से भी परिचित किया जाता है। उन्हें नृत्य, गायन, वादन, योग तथा संस्कृत मंत्रोच्चारण भी सिखाया जाता है। पाठ्यक्रम के दौरान उन्हें भारत के ऐतिहासिक, धार्मिक धरोहर तथा संस्कृति से परिचित कराने के लिए शैक्षिक परिभ्रमण भी कराया जाता है। हर वर्ष भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 10 जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस‘ के अवसर पर विदेश मंत्रालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के विदेशी विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी जाती हैं।
वर्ष 2018 में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर तत्कालिन विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज जी संस्थान के विदेशी विद्यार्थियों के भाषण कौशल, गीत गायन तथा अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने 2018 में मॉरीशस में आयोजित ‘11वें विश्व हिंदी सम्मेलन‘ के उद्घाटन तथा समापन समारोह मे गीत गाने के लिए संस्थान के पाँच विदेशी विद्यार्थियों को आमंत्रित किया। उनके द्वारा गाए गए दीपज्योति मंत्र, गणेश स्तुति, सरस्वती वंदना, शांति मंत्र आदि द्वारा विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन हुआ। केंद्रीय हिंदी संस्थान विदेशी विद्यार्थियों से इस तरह की तैयारियाँ करवाती हैं। वाद-विवाद, भाषण, रंगोली, चित्रकारी, खेलकूद आदि प्रतियोगिताओं में भी विदेशी छात्र-छात्राएँ बढ़चढ़कर भाग लेते हैं।
जब विदेशी छात्र हिंदी सीखने के बारे में सोचते हैं तब उनके मन में कई विचार होते हैं, जैसे- अपने देश में द्वि-भाषिए के रूप में कार्य करने, हिंदी अध्यापक बनने, अनुवादक बनने, भारतीय संस्कृति को जानने-समझने, मल्टीनेशनल कंपनियों में कार्य करने में आसानी हो आदि। इस तरह के विभिन्न कारणों से विदेशी छात्र हिंदी सीखने की इच्छा रखते हैं। ये छात्र अपने देश में विश्वविद्यलयों में भी दक्षिण एशियाई भाषाएँ विभाग में हिंदी में स्नातक, स्नातकोत्तर, आचार्य उपाधि के लिए शिक्षण प्राप्त करते हैं। कई विदेशी विद्यार्थी भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिंदी में उच्च शिक्षा लेने के लिए भी आईसीसीआर, विदेश मंत्रालय की छात्रवृत्ति पर प्रवेश लेते हैं तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं।
केंद्रीय हिंदी संस्थान से पढ़े हुए कई सारे विदेशी विद्यार्थी अपने-अपने देशों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। कोई किसी विश्वविद्यालय के कुलपति, कोई विभागाध्यक्ष, कोई प्रोफेसर/आचार्य तो कोई अध्यापक आदि विभिन्न स्थानों तथा पदों पर कार्यरत हैं।
सन् 2015 में भोपाल, भारत में आयोजित 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसार केंद्रीय हिंदी संस्थान को सौंपे गए दायित्व के अनुपालन में संस्थान विदेशी हिंदी अध्यापकों के हिंदी शिक्षण प्रशिक्षण के लिए समय-समय पर दो सप्ताह का पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित करता है। सन् 2016 से 2019 के दौरान मॉरीशस, श्रीलंका, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान, तथा कज़ाकस्तान कुल पाँच देशों के हिंदी अध्यापकों के हिंदी शिक्षण प्रशिक्षण के लिए दो सप्ताह का पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित किया गया है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा हर वर्ष विश्व के दो विदेशी हिंदी विद्वानों को विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं लेखन में उल्लेखनीय कार्य के लिए डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इसीतरह दो अप्रवासी भारतीय विद्वानों को विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं लेखन कार्य के लिए पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। भारत के हिंदीतर भाषी क्षेत्र में हिंदी के प्रचार-प्रसार में किए गए लेखन कार्य के लिए चार हिंदीतर भाषी हिंदी प्रेमी विद्वानों, साहित्यकारों को गंगाशरण सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इन पुरस्कारों का स्वरूप पाँच लाख रुपए तथा मानपत्र होता है। ये सभी पुरस्कार/सम्मान भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदय के करकमलों द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
विश्व स्तर पर विदेशों में स्थित आप्रवासी भारतीय तथा विदेशी हिंदी विद्वान लेखकों की पुस्तकें केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा पुस्तक प्रकाशन योजना के अंतर्गत प्रकाशित की जाती हैं।
केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा विश्व स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार में गति लाने के लिए इस तरह के कई प्रकार के कार्य तथा परियोजनाएँ परिचालित करता है।
- डॉ. गंगाधर वानोडे
क्षेत्रीय निदेशक,
केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा), हैदराबाद केंद्र
(शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार)
ईमेल – gdwanode@gmail.com