पुराने वाहन सड़क पर चलाने के लिए नियम मे हो सुधार
यातायात विभाग पुराने वाहनों के लिए सरल नियम बनाये
नागपुर। (आनन्दमनोहर जोशी)। भारत जैसे 139 करोड़ नागरिकों की आबादीवाले दुनिया के दूसरे क्रमांक के देश में पेट्रोल, डीजल से चलनेवाले दुपहिया, चौपहिया और भारी वाहनों के लिए एक निश्चिंत अवधि तय की गई है. लेकिन कुछ पुराने वाहनों की दशा अच्छी रहती है.
फिर भी उन्हें सड़क पर नियम,कानून के कारण सड़कों पर चलने के लिए कड़े नियमों का सामना करना पड़ता है. आज दुपहिया वाहनों की कीमत आसमान छूने लगी है. दुपहिया वाहन एक लाख रुपये से ज्यादा कीमत में बिक्री किया जा रहा है और तो और जरूरतमंद के लिए नए वाहन लेना कठिन होते जा रहा है.
आरटीओ कार्यालय में पुराने वाहन को चलाने के नए कागजात बनाने भारी राशि बढ़ाई गई है. जो कि आम नागरिकों के बस की बात नहीं है.भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में वाहनों के पंजीकृत दस्तावेज लेने एक राज्य के शहरों के लिए सुविधाजनक कानून नहीं है. अपने वाहन की आरसी किताब, बैंक के दस्तावेज लेने ढेरों रुपये खर्च करने पड़ते है.
ऑनलाइन सुविधाएँ होने के बाद भी पंजीकृत दस्तावेज लेने हजारों रुपये देना पड़ता है. जबकि सरकार नई तकनीक के विद्युत, गैस से चलने वाले वाहन को प्रोत्साहन दे रही है. वहीं पुराने वाहन कबाड़ बन रहे है. ऐसे में मध्यमवर्ग, जरूरतमंद वाहनचालकों के आर्थिक स्थिति को ध्यान रखते हुए नयी टैक्स प्रणाली, महंगाई के चलते सरल कानून बनाना होगा.
आज यातायात विभाग में भी तुरंत काम नहीं होते है. एक दस्तावेज को लेने एक से दो माह का समय लग जाता है. वहीँ दूसरी तरफ आधुनिक सुविधा का सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा है।
यदि कोई नागरिक एक राज्य के दूसरे शहर में वाहन खरीदते है तो उन्हें पंजीकृत दस्तावेज लेने भारी परेशानी भुगतनी पड़ती है. पुराणी दुपहिया के ग्रीन टैक्स बहुत महंगे कर दिए गई है. इन्शुरन्स, यातायात विभाग की फीस काफी महंगे हो चुके है.