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‘एक शाम आपके नाम’ में डॉ. शहाबुद्दीन शेख का मनाया जन्मोत्सव



नागपुर/पुणे। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र का 69 वाँ जन्मोत्सव (13 दिसंबर) बड़े उत्साहपूर्ण वातावरण में मनाया गया। 

इस अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी के लिए मुख्य अतिथि के रुप में डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की गरिमामयी उपस्थिति थी तथा नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। 

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, मध्य प्रदेश के कला संकाय के अध्यक्ष एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने डॉ शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख के बहुआयामी अवदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। 

उन्होंने कहा कि डॉक्टर शेख भाषा, लिपि, साहित्य और संस्कृति के समर्थ संवाहक है। उन्होंने हिंदी भाषा और देवनागरी के प्रचार-प्रसार और संवर्धन में अविस्मरणीय योगदान दिया है। वे एक मानवतावादी साहित्यकार है। साहित्य सृजन और चिंतन के माध्यम से वे नई पीढ़ी को अनेक दशकों से सार्थक दिशा दे रहे हैं। 

साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संगठन के रूप में उन्होंने देश को भावात्मक एकता के सूत्र में बांधने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। उनका चिंतन समावेशी है। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने कहा कि डॉ. शेख का व्यक्तित्व बहुआयामी है। 

उनके मार्गदर्शन में हमारा संस्थान उत्तरोत्तर उन्नति की ओर अग्रसर है। संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश त्रिपाठी, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश  ने कहा कि निर्मल मन व पवित्र हृदय वाला व्यक्तित्व सदैव हर व्यक्ति व क्षेत्र पर नजर रखता है कहीं से उनके मन में ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार होता। 

ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व राष्ट्रीय एकता, विश्व बंधुता व भाईचारे को संगठित करने के लिए समर्पित होता है। डॉ. शेख के जन्म दिवस पर आयोजित आज की 13 दिसंबर की गोष्ठी बहुत ही सार्थक व प्रभावी थी। कहीं से भी किसी को उबन महसूस नहीं हुई। 

मुख्य दर्शक तथा विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा कि मेरे व्यक्तित्व विकास में नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली, विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश तथा राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन का विशेष योगदान है। इन संस्थाओं के माध्यम से मैं निरंतर व्यस्त रहा और व्यस्तता ही सही अर्थों में स्वास्थ्य प्रदान करती है। मनुष्य अध्ययन से ज्यादा अनुभव से ही सीखता है। 

नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि डॉ. शेख हमारी नागरी लिपि परिषद व विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान सहित अनेक संस्थाओं के साथ तन, मन, धन से जुड़े हुए हैं। सांप्रदायिक एकता के प्रतीक हैं  तथा नई पीढ़ी के प्रेरक है। 

राष्ट्रीय व मानवता के प्रति वे सदा समर्पित है। हमारी नागरी लिपि परिषद के सदस्य डॉ. शेख के संबंध में कहते हैं कि वे तो संत समान है। गोष्ठी के अंतिम भाग में अनेक महानुभावों ने डॉ. शेख को जन्मदिन की हार्दिक बधाइयां दी। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान की छत्तीसगढ़ इकाई की प्रभारी व हिंदी सांसद डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने अपनी काव्यात्मक शैली में कहा कि – 
जिनके वचन में है आदर्शवादिता 
जिनका जीवन है प्रयोजनवाद 
जो जीते हैं प्रकृतिवाद के अनुसार 
जिनका व्यक्तित्व है मानवतावाद 
ऐसे हैं हमारे श्रद्धेय  शेख साहब।।

संस्थान के महाराष्ट्र प्रभारी डॉ. भरत त्र्यंबक शेणकर, राजूर, अहमदनगर, महाराष्ट्र ने कहा कि डॉ. शहाबुद्दीन शेख मेरे गुरु है। हमारे लिए उनका व्यक्तित्व निरंतर प्रेरक रहा है | उनके अनमोल मार्गदर्शन से ही हमारी पीढ़ी उन्नति के पथ पर है। डॉक्टर अंजुमन आरा, कटक, उड़िसा ने भी बधाइयां दी। 

इस अवसर पर कुछ कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। प्रथमत: कु.यशिका चतुर्वेदी, जयपुर, राजस्थान ने  गुरु महिमा को समझाया। श्रीमती मनीबेन द्विवेदी, वाराणसी ने बहुत सुंदर गजल सुनाई। लक्ष्मीकांत वैष्णव, चांपा, जांजगीर, छत्तीसगढ़ ने नारी शक्ति पर काव्य पाठ किया। 

रविशंकर श्रीवास्तव, ‘मधुप’, रायबरेली, उत्तर प्रदेश ने  हास्य व्यंग्य पर आधारित रचना सुनाई। डॉ. संगीता पाल कच्छ, गुजरात ने 'काम आए नहीं जो वतन के लिए, व्यर्थ ऐसी जवानी ना दे' कविता सुनाई। डॉ. रश्मि लहर श्रीवास्तव, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में बहुत ही सुंदर गजल सुनाई। 

संस्थान के युवा सांसद की  कार्यकारी अध्यक्षा प्रा. रोहिणी डावरे, अकोले, महाराष्ट्र ने अपने काव्य पाठ सहित  डॉ. शेख के जीवन पटल पर आधारित सुंदर झांकियां प्रस्तुत की। डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश ने भी ‘नागरी लिपि का गौरव गान’ काव्य पाठ किया।

समारोह का शुभारंभ श्री अर्जुन गुप्ता, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश की सरस्वती वंदना से हुआ। संस्थान के युवा सांसद अध्यक्ष प्रा. लक्ष्मीकांत वैष्णव, चांपा जांजगीर, छत्तीसगढ़ ने स्वागत भाषण दिया। 

इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षक सं चेतना, उज्जैन, मध्य प्रदेश के महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी, संस्थान की छत्तीसगढ़ प्रभारी डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र प्रभारी डॉ भरत शेणकर, राजूर, संस्थान की सांस्कृतिक प्रभारी डॉ. सुनीता प्रेम यादव, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, 

डॉ. नजमा बानू मलेक, नवसारी, गुजरात, जयवीर सिंह, पुणे, डॉ नूरजहां रहमातुल्लाह, गुवाहाटी, असम, कसीरा जहां, गुवाहाटी, सुश्री नीतामणि बरदलै,  डिब्रूगढ़, असम, प्रा. मधु भंभाणी, नागपुर, महाराष्ट्र, डॉ. मुदस्सर अहमद, औसा, महाराष्ट्र सहित अनेक मान्यवरों की गरिमामय उपस्थिति रही। 

गोष्ठी का सुंदर व सफल संचालन विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्था, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश की राष्ट्रीय बाल सांसद प्रभारी डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद उत्तर प्रदेश ने किया तथा कार्यक्रम संयोजिका श्रीमती पुष्पलता श्रीवास्तव 'शैली', रायबरेली, उत्तरप्रदेश ने आभार व्यक्त किए।
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