निंदिया
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आगोश में खींच लिया कल रात ।
दुख-दर्द, कोलाहल,
प्रेम,कटुता, हलाहल,
शत्रुता, मित्रता,
शुभ-अशुभ फलाफल
धुप, छाँव या
गोरी का आंचल,
चिंता, वेदना या
व्यर्थ हलचल।
हंसी, खुशी,
रोष, कोप
सब कुछ हो कर सुप्त,
जाने कहां हुए लुप्त।
प्रेमिका मेरी,
मेरी सहेली,
ओ निंदिया
तुम एक पहेली।
- डॉ. शिवनारायण आचार्य
नागपुर, महाराष्ट्र