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निंदिया



निंदिया रानी आई कल रात
आगोश में खींच लिया कल रात ।

दुख-दर्द,  कोलाहल, 
प्रेम,कटुता, हलाहल,
शत्रुता,  मित्रता, 
शुभ-अशुभ फलाफल
धुप,  छाँव या
गोरी का आंचल,
चिंता, वेदना या
व्यर्थ हलचल।

हंसी,  खुशी, 
रोष,  कोप
सब कुछ हो कर सुप्त,
जाने कहां हुए लुप्त।
 
प्रेमिका मेरी,
मेरी सहेली,
ओ निंदिया 
तुम एक पहेली।

- डॉ. शिवनारायण आचार्य 
नागपुर, महाराष्ट्र
काव्य 3473012400212670498
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