भारत के गौरवपूर्ण इतिहास का स्मरण दिलाता है वीर बाल दिवस : डॉ. जटिया
https://www.zeromilepress.com/2022/12/blog-post_72.html
नागपुर/उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन एवं एका वेलफेयर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 22 दिसंबर को मध्याह्न 12 बजे श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों एवं माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित वीर बाल दिवस सप्ताह का राज्य स्तरीय आयोजन किया गया।
विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार डॉ. सत्यनारायण जटिया थे। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय एवं श्री सुरेंद्र सिंह अरोरा, जत्थेदार सिख समाज, उज्जैन थे। अध्यक्षता महापौर श्री मुकेश टटवाल ने की।
गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों एवं माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में व्याख्यान, गुरबाणी शबद गायन और साहिबजादों की शहीदी पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन का किया गया।
कार्यक्रम में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सत्यनारायण जटिया ने कहा कि जिसके स्मरण से हमारे मन में उत्साह जागे, वही सच्चे अर्थों में इतिहास है।
सिख धर्म सीखने का धर्म है। अन्याय और अत्याचार का प्रतिकार करने में गुरु अर्जुन देव जी, हिन्द की चादर गुरु तेग बहादुर जी, गुरु गोविंद सिंह जी और उनके बलिदानी साहिबजादों का योगदान अविस्मरणीय है। गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा स्थापित खालसा पंथ इस देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहा है। वीर बाल दिवस भारत के गौरवपूर्ण इतिहास का स्मरण दिलाता है।
अध्यक्षता करते हुए महापौर श्री मुकेश टटवाल ने कहा कि जिस कुल और परिवार के बच्चे देश की रक्षा के लिए बलिदान हो जाएँ, ऐसे लोग दुर्लभ होते हैं। गुरु गोविंद सिंह जी का कुल और परिवार इसी प्रकार का था। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की संकल्पना से प्रतिवर्ष वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है।
कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि इस देश को स्वतंत्रता दिलाने में महान वीरों ने बलिदान किया है। युवाओं के बीच गुरु गोविंद सिंह जी के वीर पुत्रों की शहादत की गाथा पहुंचाने की आवश्यकता है। विक्रम विश्वविद्यालय में भारत के शहीद वीर नायकों के योगदान पर केंद्रित इलेक्टिव पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा।
वरिष्ठ समाजसेवी एवं सिख समाज के जत्थेदार श्री सुरेंद्र सिंह अरोरा ने कहा कि इस देश को
आततायियों से मुक्त कराने के लिए श्री गुरु गोविंद सिंह जी के पूरे परिवार ने कुर्बानी दी। आज भी पंजाब में बसे लोग बाल शहीद सप्ताह के दौरान जमीन पर बिना बिस्तर बिछाए सोते हैं। गुरु श्री अर्जुन देव जी शहीदों के सरताज माने जाते हैं।
इस राष्ट्र की रक्षा के लिए सिख समुदाय सदैव समर्पित है। विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए एका वेलफेयर फाउंडेशन की अध्यक्ष श्री नेहा बग्गा ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों ने एक सप्ताह तक संघर्ष करते हुए अपनी जान को निछावर कर दिया। उनकी शहादत को समर्पित यह कार्यक्रम संपूर्ण मध्यप्रदेश में एक सप्ताह तक आयोजित किया जाएगा, जिसका शुभारंभ विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से हुआ है।
कार्यक्रम की पीठिका एवं स्वागत भाषण देते हुए कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि गुरु गोविन्दसिंह जी महान सन्त, कवि और योद्धा थे, जिन्होंने मुगल सत्ता के विरुद्ध स्वातंत्र्य- चेतना का शंखनाद किया। उन्होंने अपने पुत्रों अजीत सिंह जी, जुझार सिंह जी, जोरावर सिंह जी और फतेह सिंह जी को उदात्त संस्कार दिए। उसी के बल पर उन्होंने अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर कर दिए, किंतु सिर नहीं झुकाया। वे एक ऐसे मानवतावादी लौहपुरुष हैं, जिन्होंने अपनी मिट्टी, पानी और वातावरण से संघर्ष की क्षमता पाई थी।
अतिथियों को पुस्तक खून शहीदों का एवं डॉ पिलकेन्द्र अरोरा द्वारा रचित पुस्तक युगदृष्टा गुरु गोविंद सिंह अर्पित की गई।
प्रारंभ में गुरबाणी शबद गायन श्री कमलदीप सिंह एवं साथियों ने किया। तुलसी का पौधा भेंट कर अतिथियों का स्वागत विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, श्री विशाल राजोरिया, श्री चरणसिंह गिल, श्री राजा कालरा, श्री दलजीत सिंह गांधी, डॉ रमण सोलंकी, डॉ अजय शर्मा, महिमा गुजराती आदि ने किया।
अतिथियों द्वारा वाग्देवी के चित्र के समक्ष दीप दीपन एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर प्रीति पांडे ने किया। आभार प्रदर्शन कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने किया।