Loading...

युवा सिर्फ अपने लेखकों को पढ़ें तो उनका सर्वांगीण विकास स्वतः ही हो जाएगा : कुलपति



नागपुर/आगरा। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का शानदार आयोजन संस्कृति भवन के सभागार में हुआ। निश्चित कार्यक्रम के तहत दोपहर संस्कृति भवन के सभागार में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन डॉ बी आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन में गणपति एवं माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित करते हुए दीप प्रज्वलित किया, उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. आशु रानी के साथ ग्लैमर लाइव फिल्म्स के सूरज तिवारी, पुरातन छात्र परिषद के डॉ लवकुश मिश्र निदेशक आई टी एच एम, आई टी एच एम के प्रो. यू एन शुक्ला ने संयुक्त रूप से किया।

कुलपति प्रो. आशु रानी ने अपने उदगार में कहा कि युवा सिर्फ अपने लेखकों को पढ़े अपना साहित्य पढ़े तो उसको किसी पर्सनालिटी क्लास की या आज की उन क्लासेज की ज़रूरत नहीं पड़ेगी जो युवा ले रहे हैं। ग्लैमर लाइव फिल्म्स, ईशान देव साहित्यिक क्लब एवं विश्विद्यालय के पुरातन छात्र परिषद के संयुक्त तत्वाधान में हो रहे कवि सम्मेलन में आई टी एच एम के छात्र, ललित कला संस्थान, इतिहास के छात्रों के अलावा शहर के गढ़मान्य लोग उपस्तिथ थे।

कवि सम्मेलन के बारे में प्रकाश डालते हुए संयोजक डॉ लवकुश मिश्रा एवं समन्वयक सूरज तिवारी ने बताया कि इस कवि सम्मेलन में देश के सुविख्यात कविगण भाग ले रहे हैं। कवि सम्मेलन का संचालन शहर उदयीमान युवा कवि ईशान देव कर रहे हैं।

प्रमुख कवियों में डॉ सौरभ कांत शर्मा सबरस संभल से, डॉ शुभम त्यागी मेरठ से, मोहन मुंतज़िर नैनीताल से, शशांक नीरज आगरा से, प्रोफ. युवराज सिंह आगरा से, डॉ केशव शर्मा आगरा से, एलेश अवस्थी आगरा से, ईशान देव मंच संचालन आगरा से।

मिलकर जुलकर सब बैठे हैं उत्सव बड़ा मना देंगे।
तुम क्या जानो हम अधरों पर मन के भाव सजा देंगे।

साथ तुम्हारा जो मिल जाए,आह, वाह और ताली से,
कविता की तो बात ही क्या है, दिल का हाल सुना देंगे।
- डॉ शुभम त्यागी मेरठ ने पढ़ा।

बाबूजी से अच्छा कोई यार नही हो सकता है
भाई बहन से बेहतर रिश्तेदार नही हो सकता है
माँ से बढ़कर इस दुनिया में केवल माँ ही होती है
माँ से बढ़कर और किसी का प्यार नही हो सकता है
- मोहन मुंतज़िर ने पढ़ा।

जिंदगी और बता, और बता, और बता
प्यार करना है सज़ा और सज़ा और सज़ा
वफ़ा के अश्कों से आंखों को भिगोने वालो
बेवफ़ाई भी कभी प्यार में देती है मजा
- युवराज सिंह 'युवा' ने पढ़ा।

है राष्ट्र बड़ा सारे ही धर्मों को छोड़कर।
आओ करें प्रणाम सभी हाथ जोड़कर।
इतना तो मान रखना मेरे प्रभु मेरा,
अंतिम सफर पे निकलूं तिरंगे को ओढ़कर।।
- डॉ सौरभकान्त शर्मा ने पढ़ा।

आदत हो चाहे नज़र हमारी…ईमां है बेईमानी नहीं है
इसीलिए तो इस दुनिया  में कोई हमारा सानी नहीं है
कहने को आलम पनाह है वो दुनिया की नज़रों में
लेकिन शख़्स गरीब बहुत है आँख में जिसके पानी नहीं है।
- शशांक नीरज ने पढ़ा।

हम जिस स्थान पे जाते हैं उसके  जनक बन जाते है 
यदि राजनीति पर आ जाए ऋषि सुनक बन जाते है।
- ईशान देव ने पढ़ा।

व्यापार का नहीं है ये दिल का मजरा है।
थोड़ा सा नुक्तदा है थोड़ा सा बाबरा है।
महलों पे राज करना दिल्ली का शौक होगा,
हस्ती को लुटा देना अंदाजे आगरा है।
- एलेश अवस्थी ने पढ़ा।

आज हवाओं की आंखों में, जो ईमान नहीं होगा।
पर आने वाला कल सुन लो, बेईमान नहीं होगा।।
वह पूछेगा प्रश्न यहां फिर, मढ़ी गई तस्वीरों से।
और पूछेगा अर्थ यहां पर तिरछी खिंची लकीरों के।  -डाॅ. केशव शर्मा ने पढ़ा।

काव्य 209114440279449755
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list