लिव इन रिलेशनशिप कहां तक है उचित?
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नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन" के तत्वावधान में अंतरंग महिला चेतना मंच के पाक्षिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में विवाह से पहले लड़के लड़कियों का एक साथ रहना कहां तक उचित है इस विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई।
सर्वप्रथम सरस्वती वंदना और दीप प्रज्ज्वलन के उपरान्त मंचासीन अंतरंग की वरिष्ठ सखियां साहित्यकार श्रीमती इंदिरा किसलय, डॉ कृष्णा श्रीवास्तव, निर्मला पाण्डे और पुष्पा पाण्डे का अंग वस्त्र से स्वागत किया गया।
विवाह से पहले लड़के लड़कियों का एक साथ रहना कहां तक उचित है। इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुये सहभागी सखियों ने जहां इसे बदलती जीवन शैली की उपज कहा, वहां इसके भयावह दुष्परिणाम भी अंकित किये। यह स्वतंत्रता का सम्मान नहीं स्वच्छन्दता से निकली कुप्रथा है।भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों का उपहास है।स्मार्ट फोन बहुत बड़ा कारक है। इस समाजघाती प्रथा को रोकने के उपाय घर से शुरू होने चाहिए।
संस्कार वपन का काम पालकों का है। सर्व श्रीमती नीलम शुक्ला, रत्ना जैस्वाल, आरती पाटिल, पुष्पा पांडे, निर्मला पांडे, प्रभा मेहता, कविता कौशिक, मंजूषा किंजवडेकर, रीमा चड्ढा, उमा हरगन एवं डाॅ कृष्णा श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त किये।
द्वितीय सत्र में श्रीमती माया शर्मा, किरण हटवार, रश्मि मिश्रा, सीमा काचोरे, रेशम मदान और रूपा बसाक ने परिचर्चा के विषय को नाटक के रूप में मंच पर प्रस्तुत किया। इसके पश्चात रेशम मदान, प्रतिभा भोले एवं सीमा काचोरे ने नृत्य से कार्यक्रम की शोभा में चार चाँद लगा दिये।
लकी ड्रा के द्वारा सभी सखियों ने तरह तरह के व्यंजनों से नाश्ते का लुत्फ उठाया। श्रीमती इन्दिरा किसलय ने सारगर्भित समीक्षा पेश की। पुष्पा पाण्डे ने आभार माना।