तेरी आंखें...
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ज़ुबां से हैं लेकिन -
तेरी आँखें
बहुत कुछ कहती हैं -
कभी खुशी में छलक उठती हैं
दुख में कराहती हैं,
प्यार में दुलारती हैं,
लालसा से मचलती हैं,
यूं ही खामोश नहीं रहती
तेरी नादान आंखें।
कुछ ना कह,
बिन आंसू बहाए
क्रंदन करती हैं,
बिन आवाज चित्कार करती हैं
ये आंखें,
मेरे सीने को पसीज़ देती हैं
तेरी आंखें।
यूं तो बेज़ुबान हैं
ये भोली आंखें,
नाजुक निरीह हैं तेरी आंखें
लेकिन मसखरी करती हैं तेरी आंखें,
ठट्टा करती हैं,
मज़ाक उड़ाती हैं
तेरी आंखें।
देखी है मैंने इनमें
अथाह सागर,
घुमड़ते बवंडर,
एक कसक,
तड़प, विवसता,
ओह, जाने कैसी
गुल खिलाती हैं,
तेरी आंखें।
दुनिया उलटने की,
सत्ता बदलने की
ताकत हैं इनमें
कैसे कहूं कि
नाजुक हैं
तेरी आंखें।
कभी आंखों में बिठाती हैं ,
तो कभी आंखों से गिराती हैं,
कभी अंखियां चुराती हैं,
बदहवास सी
बहकी हुई
तेरी आंखें।
मदिरा सी नशीली
शबनम सी नरम
दूर्वा सी कोमल,
इंद्रधनुषी
तेरी आंखें।
नींद तो आती होगी तुम्हें,
मेरी निंदिया चुराती हैं तेरी आंखें।
नागपुर, महाराष्ट्र