सड़क दुर्घटनाओं को टालने के लिए राष्ट्रीय यातायात नीति में हो सुधार
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नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। राष्ट्रीय स्तर पर राजमागों, राष्ट्रिय महामार्गों के साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, राज्य स्तरीय सड़कों के साथ शहर के प्रमुख मार्जिन की सड़कों पर सीमेंट की परतें चढ़ाई जा चुकी है. अभी भी कई सड़कों पर डामरीकरन भी किया जा रहा है.शहर की आंतरिक सीमाओं और शहर के अंदरुनी स्थानों की सड़कें अब सीमेंट से बनाई गई है.
इन सड़कों पर वाहनों की गति जहाँ 20-30 किलोमीटर प्रति घंटा होना चाहिए. ऐसी सड़कों पर 70 और 80 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज गति से वाहन चलाये जा रहे है. वहीँ राष्ट्रीय महामार्ग पर बनाई गई सड़क पर 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति के साथ दुपहिया, चौपहिया और भारी वाहन चलाये जा रहे है. भारत सरकार को राष्ट्रीय राजमार्गों, महामार्गों पर गति सीमा नियम लागू करने होंगे।
राष्ट्रीय स्तर की सड़कें दो लाइन, तीन, चार, छह, आठ लाइन बनाई गई है.
इन सड़कों पर वाहनों की तेज गति के साथ लापरवाही और यातायात के नियम के उल्लंघन से निर्दोष वाहन चालकों के साथ पैदल चालक की दुर्घटना में जान चली जाती है.दुनिया में अन्य देश की तुलना में भारत के पांच लाख वाहन दुर्घटनाओं में लोगों की जान चली जाती है. ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की उचित गति से ही वहां वाहन चलने को अनुमति देना होगा.सड़क सुरक्षा के नाट्य रूपांतर के सजीव कार्यक्रम के माध्यम से वाहन दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.
भारत में केंद्र सरकार ने अनेक योजनाओं को केंद्रीय स्तर पर प्रारंभ भी किया है. लेकिन राज्य सरकार के यातायात नियमों को सख्ती से नहीं लागु होने से नियम उल्लंघन होते है.
भारत ने सैकड़ों परियोजनाओं पर लगातार काम किया है, जहाँ सड़कों की स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन वाहनचालकों के लिए समान नियम, अनुशासन, लाइसेंस के साथ सावधानियों के साथ उचित गति पर भी ध्यान देना होगा.
सडकों पर हो रही तेज गति से चलने की स्पर्धा और ओवरटेकिंग, लापरवाही से वाहन चलाने पर नियंत्रण भी करना होगा.शहरों में बिना लाइसेंस के चल रही मैक्सी वाहन से भी जनता को भारी दिक्कतें हो रही है. यातायात जाम हो जाता है. ट्रकों के बेसमय शहरों में प्रवेश से भी परेशानी होती है.