बीते पल...



चलो आज बीते पल में खो जाते हैं
कुछ खट्टी मीठी यादों को दोहराते हैं।
क्या खोया क्या पाया इस पर शब्दों 
का मरहम लगाते हैं।
उम्र के इस पड़ाव में अपने बीते पल
 दोहराते हैं।

आसान नहीं होता जिंदगी की नींव रखना
यह संतानों को बताते हैं।
धूप छांव से भरी जिंदगी से मिली सीख
हम तुम्हें बताते हैं।

चलो बीते पल में जो गीत गुनगुनाए थे
उसे फिर दोहराते हैं।
चलो बीते पल की यादों को सजाते हैं।
तकलीफों भरे दौर में छोटी-छोटी खुशियों 
की वजह ढूंढना तुम्हें सिखाते हैं।

कैसे हमने सजाई यह छोटी सी दुनिया
आज सभी को बताते हैं।
चलो बीते पल में खो जाते हैं।
चलो आज उन बीते लम्हों को याद कर 
लेते साथ जिए जो एक दूसरे के लिए

उन पलों की यादों में खो जाते हैं।
प्यार हुआ तकरार हुआ फिर भी मनाना
का सिलसिला यूं ही चलता रहा।
चलो बीते पल की शमा बांधकर यूं ही
खो जाते हैं।

प्यार से जो सजाया आशियाना आज
उसके पहरेदार बन जाते हैं।
बड़े प्यार से बनाई ये इमारत नई पीढ़ी को
बताते हैं।
चलो आज मिलकर बीते पल में खो जाते हैं।
 
- सविता शर्मा, मुंबई
काव्य 8170168960492890735
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