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महाकवि सुब्रह्मण्य भारती का जन्मदिवस 'भारतीय भाषा दिवस' के रूप में मनाया

 

नागपुर/हैदराबाद। केंद्रीय हिंदी संस्थान के केंद्रों द्वारा निदेशक प्रो. बीना शर्मा की उपस्थिति में स्वतंत्रता सेनानी  महाकवि सुब्रह्मण्य भारती का जन्मदिवस 'भारतीय भाषा दिवस' के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर निदेशक महोदया ने पटल पर उपस्थित सभी सदस्यों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि महाकवि सुब्रह्मण्य भारती अपने समय के उत्तर और दक्षिण के बीच सेतु माने जाते थे। वे तमिलनाडु के समाज सुधारक थे। उन्होंने कई समाचार पत्रों में पत्रकार के रूप में काम किया। उनमें से 

'स्वदेशमित्रन' और 'भारत' उल्लेखनीय समाचार पत्र थे। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। 
कार्यक्रम का सफल संचालन शिलांग केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. कृष्ण कुमार पांडे ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में भारत सरकार द्वारा जारी की गई मार्गदर्शिका तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2022 में सुझाए गए बिंदुओं के आधार पर 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' पहल के अंतर्गत भारत की भाषाओं से छात्र, जनता परिचित हो तथा भाषाओं को समृद्ध करें। उन्होंने संचालन के दौरान भाषाई क्षेत्र और उसकी विविधता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 'ट'- वर्ग की ध्वनियाँ द्रविड़ भाषा परिवार से होते हुए आधुनिक भारतीय आर्य भाषा परिवार की भाषाओं में उच्चरित हो रही है।

हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश की भाषा संपदा विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश की तेलुगु भाषा में विविधता है। दोनों राज्य की तेलुगु भाषा के कुछ शब्द भिन्न हैं। उच्चारण शैली भिन्न है। तेलुगु द्रविड़ परिवार की प्राचीनतम भाषा है। उन्होंने तमिल, मराठी भाषा के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। द्रविड़ भाषा परिवार तथा भारतीय आर्य भाषा परिवार की भाषाओं की शब्दावली के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। इस अवसर पर उन्होंने सुब्रह्मण्य भारती जी द्वारा रचित "वंदे मातरम्" कविता के अनूदित रूप का वाचन किया। इस अवसर पर हैदराबाद तथा मैसूर केंद्र की त्रैमासिक पत्रिका 'समन्वय दक्षिण' पत्रिका के सुब्रह्मण्य भारती विशेषांक का लोकार्पण किया गया।

मैसूर केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. परमान सिंह ने कर्नाटक की भाषा संपदा के साथ साथ उस क्षेत्र की अन्य बोलियों पर भी अपनी मधुर वाणी से विचार व्यक्त किए। अहमदाबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. सुनील कुमार ने गुजरात की भाषा संपदा तथा सयाजी राव गायकवाड तथा कन्हैयालाल मुंशी के भाषा प्रेम एवं कार्य के संबंध में अपने विचार रखे। दीमापुर तथा गुवाहाटी केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. चंद्रशेखर चौबे ने असम की भाषा तथा बोलियों, नागालैंड की भाषा संपदा पर अपने गहन विचार व्यक्त किए। भाषा और लिपि पर बात की।

सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष श्री अनुपम श्रीवास्तव ने भाषा के विविध पक्षों को उद्धृत किया। केंद्रों के शैक्षिक सदस्य डॉ. साईनाथ चपले तथा श्री शिव दत्त एवं प्रशासनिक सदस्य डॉ. एस. राधा तथा श्री संदीप कुमार ने भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर अपने-अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। 
कार्यक्रम का समापन एवं आभार क्षेत्रीय निदेशक डॉ. कृष्ण कुमार पांडेय ने किया। 

- डॉ. गंगाधर वानोडे
क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र
साहित्य 384367623336648912
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