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याद ना करो हमें...



यूं ना याद किया करो हमें,
हिचकी आती है, 
मदिरा सी बातें तुम्हारी,
बिन पिये
हिचकी आती है, 

बहके हैं कदम 
ना गिर जाएं हम, 
सम्हालो हमें कि
हिचकी आती है।

याद ना करें हमें,
मैं गुजरा वक्त हुं,
ना वापस आ पाऊंगा, 
दरिया में बहता पानी हुं,
यूं ठहर ना पाऊंगा।

मेरी यादें मिटा दो,
दिल के कोने कोने से,
धड़कनें थमने को हैं, 
जो आज गुजर गया
 फिर आ न पाऊंगा।

यादों में कौन जीता है,
ये भी कोई जीने का सहारा है! 
बहती धार के साथ
 बहना ही समझदारी है, 
विपरीत दिशा में तैर
 कौन मंजिल पाया है?

पलकें झपकते 
पल गुजर जाती हैं, 
याद ना करो
हिचकी आती है ।

- डॉ. शिवनारायण आचार्य 'शिव'
    नागपुर, महाराष्ट्र 
काव्य 6654817840891180026
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