'उभरते सितारे' में संगीतमय 'गुरुवाणी'
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नागपुर। विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित कलाकारों के लिए सदाबहार, लोकप्रिय उपक्रम 'उभरते सितारे'। जिसके अंतर्गत, 'गुरु वाणी' विषय पर आधारित, जीवन में गुरु का महत्व को परिभाषित एक सार्थक संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें शहर की सुपरिचित शंखनाद वादक श्रीमती. हंसा बेन पाघडाल जी अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।
इनका स्वागत सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। अपने संबोधन में हंसा बेन ने गुरु की महत्ता पर प्रकाश डाला। और, यह बताया कि किस तरह गुरु अपने शिष्यों के जीवन को आलोकित करता है। तथा, उन्होंने शंखनाद भी किया। इस कार्यक्रम में श्रीमती. छाया श्रीवास्तव प्रमुखता से उपस्थित थीं। इस अवसर पर सहसंयोजिका कृष्णा कपूर ने 'गुरु वाणी' पर अपनी प्रस्तावना रखी।
तत्पश्चात, बच्चों ने एक से बढ़कर एक नृत्य और गायन से सबका मन मोह लिया। जिसमें, संपूर्णा रेमंडल, निधि रेहपाडे, देवयानी धोत्रे, पूर्वी मंगेश वैद्य और अद्विका बोबडे ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। आर्यन पवार, भव्या अरोरा, परिणीति चतुर्वेदी, चाणाक्ष चतुर्वेदी, राम बागल ने अपने गीत से लोगों का दिल जीत लिया।
नंदिनी बागडे ने अपने पिता को समर्पित स्वरचित कविता सुना कर भावविह्वल कर दिया। नवोदित कलाकारों को मंगेश वैद्य, राज चौधरी, वेदप्रकाश अरोरा आनंद डोंगरे, स्नेहा बोबडे, मनीषा रेहपाडे, लीला पवार, सीमा लुहा, रौनक रुंघटा, शालिनी तेलरांधे, प्रीति बागल, मोनिका रेमंडल, आशा अरोरा आदि ने बहुत सराहा।
कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन अपने अनोखे अंदाज में सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। सभी उपस्थित सुधिजनों, कलाकारों और दशकों का आभार सहसंयोजिका कृष्णा कपूर ने व्यक्त किया।